विश्वकर्मा जयंती पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए 'पीएम विश्वकर्मा' लॉन्च की

Update: 2023-09-18 10:04 GMT
अमृतसर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए "पीएम विश्वकर्मा" योजना की शुरुआत की। यह योजना इन लोगों को ऋण सहायता प्रदान करने के साथ-साथ कौशल उन्नयन में भी मदद करेगी।अमृतसर के गुरु नानक देव विश्वविद्यालय में "पीएम विश्वकर्मा" के लॉन्च के अवसर पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें भारत सरकार के केंद्रीय पेट्रोलियम एवम् प्राकृतिक गैस और आवास एवम शहरी मामलों के मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के साथ भाग लिया। मंच से बोलते हुए हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पीएम विश्वकर्मा योजना अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।उन्होंने कहा कि यह योजना वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ-साथ लोगों के कौशल को भी उन्नत करेगी। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए डा. जसपाल सिंह, कुलपति, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर ने "पीएम विश्वकर्मा" के लॉन्च के लिए मंत्री को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि इस योजना का शुभारंभ उन्हें दीन दयाल उपाध्याय कौशल योजना के शुभारंभ की याद दिलाता है।इस योजना का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा या अपने हाथों और औजारों से काम करने वाले विश्वकर्माओं द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार-आधारित प्रथा को सुदृढ़ बनाना और पोषित करना है। पीएम विश्वकर्मा का मुख्य फोकस कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की पहुंच के साथ-साथ गुणवत्ता में सुधार करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे घरेलू और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ एकीकृत हों। पीएम विश्वकर्मा को 13,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्र सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्त पोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत, बायोमेट्रिक आधारित पीएम विश्वकर्मा पोर्टल का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से विश्वकर्माओं का निःशुल्क पंजीकरण किया जाएगा। उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाण पत्र और पहचान-पत्र, मूलभूत और उन्नत प्रशिक्षण से जुड़े कौशल उन्नयन, 15,000 रुपये का टूलकिट प्रोत्साहन, 5 प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर 1 लाख रुपये (पहली किश्त) और 2 लाख रुपये (दूसरी किश्त) तक संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहायता, डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहन और विपणन सहायता के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी।
यह योजना पूरे भारत में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान करेगी। पीएम विश्वकर्मा के अंतर्गत अठारह पारंपरिक शिल्पों को शामिल किया जाएगा। इनमें (i) बढ़ई; (ii) नौका निर्माता; (iii) शस्‍त्रसाज; (iv) लोहार; (v) हथौड़ा और टूल किट निर्माता; (vi) ताला बनाने वाला; (vii) सुनार; (viii) कुम्हार; (ix) मूर्तिकार, पत्थर तोड़ने वाला; (x) मोची (जूता/जूता कारीगर); (xi) राजमिस्त्री; (xii) टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/कॉयर बुनकर; (xiii) गुड़िया और खिलौना निर्माता (पारंपरिक); (xiv) नाई; (xv) माला बनाने वाला; (xvi) धोबी; (xvii) दर्जी; और (xviii) मछली पकड़ने का जाल बनाने वाला शामिल हैं।
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