2 समुदायों के बीच हिंसक झड़प, कई लोगों को बचाने वाला ये अधिकारी चर्चा में आया

मुस्लिम अधिकारी की तत्परता और साहस से कई लोगों की जान बच गई।

Update: 2023-08-03 03:35 GMT
नूंह: नूंह हिंसा के दौरान एक मुस्लिम अधिकारी की तत्परता और साहस से कई लोगों की जान बच गई। उन्होंने सहयोगियों की मदद से जान पर खेलकर बंधक बनाए गए करीब 35 लोगों को छुड़ाया। उनकी बहादुरी की चर्चा जिले भर में हो रही है।
पुन्हाना के गांव मुबारिकपुर निवासी आबिद हुसैन एक विभाग में सब-डिविजनल अधिकारी हैं। उनकी तैनाती तावड़ू में है। 31 जुलाई को निकली बृजमंडल यात्रा के लिए उन्हें ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात किया गया था। वह इंस्पेक्टर ओमबीर के साथ नूंह बस अड्डा के पास खड़े थे। तभी उन्हें सूचना मिली कि कुछ असामाजिक तत्वों ने यात्रा में शामिल कुछ लोगों को बंधक बना लिया और उन्हें एक धार्मिक स्थल में बंद कर दिया है।
उन्होंने बताया कि सूचना मिलते ही वह इंस्पेक्टर ओमबीर और अन्य पुलिसकर्मी के साथ मौके पर पहुंचे। उनके पहुंचते ही उपद्रवी पथराव और फायरिंग करने लगे। साथ ही बंधक बनाए गए लोगों से मारपीट कर रहे थे। यह देख उनसे रहा नहीं गया। आबिद हुसैन बंधक बनाए गए लोगों को बचाने के लिए दौड़ पड़े। साथ ही उन्होंने मौजूद पुलिस अधिकारियों को उपद्रवियों पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया। पुलिस की सख्ती के बाद सभी उपद्रवी फरार हो गए। उन्होंने कहा कि अगर कुछ मिनटों की भी देर होती तो कई लोगों की जानें जा सकती थीं।
आबिद हुसैन ने बताया कि वह एक इंजीनियर हैं। पब्लिक हेल्थ विभाग में उनकी तैनाती है। वह इंसानियत पर विश्वास करते हैं। उपद्रवियों में किसी प्रकार का इंसानियत नहीं होता। ऐसे लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नूंह में शांति और सौहार्द कायम रहना चाहिए।
गुरुग्राम के क्राइम ब्रांच प्रभारी इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने बताया कि वह अंबेडकर चौक पर मौजूद थे। तभी धार्मिक नारे लगाते हुए 700 व्यक्ति पहुंच गए। उपद्रवियों की फायरिंग में इंस्पेक्टर अनिल कुमार के पेट में गोली लग गई। एएसआई जगबीर घायल हो गए। उपद्रवियों को खदेड़ते हुए दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया।
मिलेनियम सिटी में हुई हिंसक घटनाओं के बाद यहां रह रहे प्रवासियों को शहर के सैकड़ों परिवारों ने अपने घरों में शरण देकर मिसाल पेश की है। उनसे अपनापन भी दिखाया, जिससे प्रवासी लोग गांव लौटने के बजाए यहीं पर ही रुक गए। हिंसक घटनाओं के बाद प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा का डर सता रहा था। ऐसे में एक उद्योगपति ने मजदूरों को घर वापस लोटने से रोका और अपनी कंपनी में शरण दी। उनकी हर जरूरत की चीजों को मुहैया करवाया जा रहा है। इससे वह खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा नए गुरुग्राम क्षेत्र में रहने वाले परिवारों ने भी घर पर काम करने वाले ड्राइवर, नौकरानी और माली को अपने घरों में शरण दी। ताकि उनके अंदर से डर निकल सके और वह खुद को सुरक्षित महसूस कर सके। शहर के लोगों में अपनापन देखकर वह काफी खुश हैं और अच्छा भी महसूस कर रहे हैं।
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