पटना: बिहार के बक्सर में जमीन के मुआवजे को लेकर आंदोलन करने और 11 जनवरी को हिंसा करने वाले किसानों के खिलाफ 3 एफआईआर दर्ज की गई हैं. ये तीनों ही एफआईआर मुफस्सिल पुलिस थाने में दर्ज की गई हैं. दो एफआईआर में शिकायतकर्ता सतलज जल विद्युत निगम है जो थर्मल प्लांट का निर्माण कर रहा है और तीसरी एफआईआर चौसा के अंचल अधिकारी ने दर्ज कराई है. पुलिस ने 38 नामजद और 250 से ज्यादा अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है.
बक्सर के चौसा गांव में सतलज जल विद्युत निगम (एसजेवीएन) के थर्मल पावर प्लांट के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया है. किसान इसका उचित मुआवजा मांग रहे हैं. पुलिस ने 10 जनवरी की देर रात किसानों के घर में घुसकर प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया. आरोप है कि पुलिस ने घर में घुसकर महिलाओं-पुरुषों के साथ बच्चों पर भी बर्बरतापूर्वक लाठियां बरसाईं.
बीते 10 जनवरी की रात घरों में घुसकर पुलिस द्वारा लाठियां बरसाए जाने की घटना के बाद किसान भड़क गए. उन्होंने गाड़ियों को फूंक दिया. चौसा पावर प्लांट में भी तोड़फोड़ कर दी. किसानों ने मोर्चा खोल दिया और रात भर बवाल करते रहे. किसानों ने जमकर प्रदर्शन किया और बसों में आग लगा दी. पुलिस की गाड़ियां भी फूंक डालीं. किसान पिछले दो महीने से मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
दरअसल, चौसा में एसजेवीएन के द्वारा पावर प्लांट के लिए किसानों का भूमि अधिग्रहण 2010-11 से पहले किया गया था. उस समय किसानों को 2010-11 के अनुसार, मुआवजे का भुगतान किया गया था. इसके बाद कंपनी ने फिर 2022 में किसानों की जमीन अधिग्रहण करने की प्रक्रिया शुरू की.
इसके बाद किसान अब मौजूदा दरों के हिसाब से अधिग्रहण की जाने वाली जमीन का मुआवजा मांग रहे हैं. कंपनी पुरानी दर पर ही मुआवजा देकर जबरजस्ती जमीन अधिग्रहण कर रही है. इसके विरोध में पिछले 2 महीने से किसान आंदोलन कर रहे हैं. इसको लेकर पुलिस ने रात में घर में घुसकर महिलाओं, पुरुषों और बच्चों पर बर्बरतापूर्ण तरीके से लाठी बरसाई.
चौसा में थर्मल पावर प्लांट लगाने से पहले जिले के किसानों को कंपनी ने आश्वासन दिया था कि कंपनी के इस इलाके में स्थापित होने के बाद जिले में तेजी से विकास होगा. इसके साथ ही साथ कंपनी के सीएसआर फंड से यहां बड़े-बड़े स्कूल, होटल और रोजगार के संसाधन बढ़ाए जाएंगे. चारों तरफ खुशहाली होगी. इसके अलावा नौकरी में स्थानीय लोगों को वरीयता दी जाएगी. मगर, जैसे ही किसानों ने एग्रीमेंट पर दस्तखत किए, उसके बाद सब बदल गया.
सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बक्सर हिंसा को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि पुलिस की कार्रवाई अलोकतांत्रिक थी. चौबे ने कहा कि नीतीश बाबू यही जंगल राज है. मैंने 12 दिसंबर 2022 को कंपनी और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की थी. उन्हें निर्देश दिया था कि वह शांतिपूर्ण तरीके से जमीन अधिग्रहण के मसले को सुलझाएं. जिला प्रशासन को भी आगाह किया था. किसानों पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं होगा. कोई भी हिंसा न करें. हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है.