उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने भारत छोड़ो आंदोलन दिवस की पूर्व संध्या पर देशवासियों को दी बधाई

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (M.Venkaiah Naidu) ने भारत छोड़ो आंदोलन दिवस (Quit India Movement Day) की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई दी है. उन्होंने अपने संदेश में कहा, ‘मैं भारत छोड़ो आंदोलन दिवस की वर्षगांठ पर अपने सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं.

Update: 2021-08-08 18:25 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :-  उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू (M.Venkaiah Naidu) ने भारत छोड़ो आंदोलन दिवस (Quit India Movement Day) की पूर्व संध्या पर देशवासियों को बधाई दी है. उन्होंने अपने संदेश में कहा, 'मैं भारत छोड़ो आंदोलन दिवस की वर्षगांठ पर अपने सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. इस आंदोलन की शुरुआत गांधी जी ने अपने शक्तिशाली नारे 'करो या मरो' (Karo Ya Maro) के जरिए देशवासियों को प्रोत्साहित करने के साथ की जिसने स्वाधीनता आंदोलन में नई जान फूंक दी और अंततः 1947 में अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा.'

उन्होंने कहा, 'इस अवसर पर, आइए हम भारत के उन वीर सपूतों और बेटियों की असंख्य कुर्बानियों को याद करें जिन्होंने भारत को औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने के लिए "भारत छोड़ो आंदोलन" में हिस्सा लिया. आइए आज हम भारत से गरीबी, अशिक्षा, असमानता, भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता और लैंगिक भेदभाव जैसी सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए खुद को पुनः प्रतिबद्ध करें.'
उपराष्ट्रपति ने कहा, 'भारत की सभ्यता "सेवा और सद्भाव" के सनातन मूल्यों पर आधारित है. आज जब हम अपने समाज में आपसी सौहार्द, भाईचारे, परस्पर सम्मान और साझा दायित्वों की भावना को बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, यही मूल्य हमारे मार्गदर्शक होंगे. हम याद रखें कि हमारी वेशभूषा, भाषा और धार्मिक आस्थाओं में भिन्नता होने के बावजूद, हम "भारतीय" सबसे पहले हैं और हमें इसका गर्व होना चाहिए. ये सुंदर, समृद्ध भूमि हम सभी के लिए है और एक बेहतर भविष्य की इस यात्रा में हम सब साथ हैं.'
अपने जीवन में "भारतीयता" का स्वागत करेंः एम. वेंकैया नायडू
एम. वेंकैया नायडू ने कहा, 'आइए हम अपने जीवन में "भारतीयता" का स्वागत करें- चाहे वो मातृभाषा का प्रयोग हो या फिर पारंपरिक पहनावा, आइए भारतीय परंपराओं का आदर करें. एक समावेशी, आत्मविश्वास से परिपूर्ण, आत्मनिर्भर भारत के लिए साथ-साथ कदम बढ़ाएं.' दरअसल महात्मा गांधी ने अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कई अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और आठ अगस्त 1942 को उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी.


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