भारत पर भड़क गए अमेरिका के सांसद

Update: 2022-04-08 08:25 GMT

नई दिल्ली: यूक्रेन के शहर बूचा में हुए मानवाधिकार उल्लघंन को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने रूस को मानवाधिकार परिषद से निलंबित कर दिया है. गुरुवार को UNHRC से रूस को हटाने के प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. प्रस्ताव को 93 देशों का समर्थन मिला और 24 देशों ने इसका विरोध किया. प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान भारत समेत 58 देश अनुपस्थित रहे. वोटिंग के दौरान भारत की अनुपस्थिति पर अमेरिका ने गहरी निराशा जताई है.

एक अमेरिकी सांसद ब्रायन फिट्जपैट्रिक ने कहा है कि वो संयुक्त राष्ट्र में मतदान से दूर रहने के भारत के फैसले से निराश हैं. पेंसिल्वेनिया के रिपब्लिकन सांसद ब्रायन फिट्जपैट्रिक ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि रूस के खिलाफ समर्थन नहीं देने वाले देशों को जवाबदेह ठहराना जरूरी है.
फिट्जपैट्रिक ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा, 'मैं कल ही भारत के राजदूत से मिला था. मैंने उनसे भारत के संयुक्त राष्ट्र में अनुपस्थित रहने के संबंध में बात की...हम भारत के रुख से बेहद निराश हैं.'
जब उनसे ये सवाल किया गया कि रूस की बढ़ती आक्रामकता को देखते हुए अमेरिका को क्या कदम उठाने की जरूरत है तो उन्होंने कहा, 'जरूरी है कि अमेरिका उन देशों को जवाबदेह ठहराए जो रूस के खिलाफ खड़े नहीं हो रहे हैं. आज सुबह ही हमें खबर मिली कि जर्मनी रूस के तेल आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से झिझक रहा है.'
उन्होंने आगे कहा, 'प्रतिबंधों को कड़ा करके व्लादिमीर पुतिन और रूसी सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना जरूरी है. लेकिन हम अब तक ऐसा नहीं कर पाए है. दूसरी बात ये कि हम यूक्रेन को सभी तरह के रक्षा हथियार उपलब्ध कराएं जिसकी उसे जरूरत है. लेकिन हम ये भी नहीं कर पाए हैं.'
पिछले हफ्ते भी भारत ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की एक वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था. ये वोटिंग यूक्रेन में रूस की तरफ से युद्ध अपराधों की जांच के लिए एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग की स्थापना के लिए की गई थी. भारत ने 15 सदस्यों वाले सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ दो प्रस्तावों और 193 सदस्यीय महासभा में एक प्रस्ताव पर भाग नहीं लिया है.
भारत निष्पक्ष रहते हुए रूस-यूक्रेन मुद्दे को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने पर जोर देता आया है. लेकिन अमेरिका लगातार भारत पर दबाव बनाता आया है कि वो रूस की आलोचना करे. अमेरिका भारत-रूस रक्षा संबंधों पर भी सवाल उठा रहा है. उसका कहना है कि भारत हथियारों को लेकर रूस पर अपनी निर्भरता खत्म कर दे, बदले में वो उसे हथियार मुहैया कराएगा.
हाल ही में अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा है कि रूसी हथियारों में निवेश भारत के लिए ठीक नहीं है. बीते हफ्ते अमेरिका के उप राष्ट्रीय रक्षा सलाहकार दलीप सिंह भारत आए थे. इस दौरान उन्होंने तीखे लहजे में कहा था कि अगर चीन सीमा पर किसी तरह का उल्लंघन करता है तो रूस भारत के बचाव में नहीं आएगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी भारत के रुख पर क्वॉड में अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साध चुके हैं. पिछले महीने क्वॉड की मीटिंग के बाद उन्होंने कहा था कि यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर कोई बहाना या किसी तरह का टालमटोल नहीं चलेगा.
रूस को लेकर रिश्तों में आई तल्खी के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर 11 अप्रैल को अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं. वो वाशिंगटन डीसी में आयोजित 2+2 डायलॉग में हिस्सा लेंगे. विदेश मंत्री के साथ-साथ भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस बैठक में शामिल होंगे.
जयशंकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से भी मिलेंगे और द्विपक्षीय रणनीतिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे. 
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