UPSC टॉपर शुभम कुमार के पिता के पास नहीं थे 500 रूपए, बेटे के IAS बनने पर ये बात याद कर रोने लगी मां

Update: 2021-10-04 15:04 GMT

यूपीएससी टॉपर शुभम कुमार के पिता देवानंद सिंह के पास 500 रूपए नहीं थे, इसलिए वह 1983 में आईआईटी एग्जाम नहीं दे पाए। उस दिन वह रात भर अपने दोस्त के साथ रोते रहे। मगर, जब बेटा शुभम आईएएस टॉपर बना तो आंख से आंसू तो इस बार भी सारी रात टपके, लेकिन खुशी के। शुभम के पिता देवानंद सिंह ने बचपन में दुखों के कारण जितने आंसू बहाए, अब पुत्र के आईएएस टॉपर बनने के बाद उनके आंखों से खुशी के आंसू पिछले पंद्रह दिनों से लगातार टपक रहे हैं।

देवानंद सिंह कहते हैं कि वह पढ़ाई में खुद भी तेज थे। वह आईआईटी उत्तीर्ण होना चाहते थे, लेकिन पैसे के अभाव में उनका सपना साकार नहीं हो पाया। पिता जी शिक्षक थे जिनका निधन हो गया, वह तब मैट्रिक परीक्षा देने वाले थे। वह तीन माह नहीं पढ़ पाए। इकलौते पुत्र थे, उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इंटर में उनके अच्छे अंक मिले। 1983 में उन्होंने आईआईटी का फार्म भरा था। वह बताते हैं कि पांच सौ रूपये नहीं थे, इसलिए आईआईटी का एग्जाम नहीं दे पाया। उसके कारण उसका दोस्त भी एग्जाम देने नहीं गया। दोनों मिलकर रात भर रोते रहे। बेटा आइएएस टॉपर बना तो लोग पूछते हैं कैसा महसूस करते हैं। मैं शब्दों में क्या बताऊं, इस मुकाम के पीछे की तपस्या। शुभम की मां पूनम देवी कहती हैं कि जब बच्चे माता के साथ लिपटकर सोता है तो वह हमसे दूर पढ़ने के लिए पटना चला गया। महज छह साल का था जब रेसीडेंशियल स्कूल में दाखिल करा दिया गया। रात भर मैं रोता थी, लेकिन बचपन से ही उसको कुछ बड़ा करने की चाहत थी। दादा जी बचपन में गुजर गए थे, वह अपनी दादी से कहता था मैं एक दिन बड़ा आदमी बनूंगा। उसने कर दिखाया।

शुभम का कहना है कि आईएएस टॉपर बनना जितना मुश्किल है, उससे कहीं अधिक चुनौती भरा कार्य है लोगों की आकांक्षाओं और उम्मीदों पर खरा उतरना। टॉपर बनने के बाद लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ गयी हैं। यह इजी नहीं है। चैलेजिंग जरूर है। ईमानदारी और निष्टापूर्वक पूर्वक अपना कार्य करूंगा। मां की मेहनत और पिता से संस्कार सीखे हैं। बचपन से ही सबका मान-सम्मान करता आया हूं। जहां रहूंगा सबका आदर करूंगा। नवंबर से ट्रेनिंग होगी। उन्हें बिहार कैडर मिलने की आस और विश्वास है। आइएएस टॉपर बेटा का देश भर में नाम हुआ तो पापा के दफ्तर में भी उन्हें सम्मान मिला। आईएएस टॉपर पुत्र के साथ उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक पूर्णिया के शाखा प्रबंधक देवानंद सिंह और उनकी पत्नी पूनम देवी सीढ़ियां चढ़े तो तालियों के साथ उनका स्वागत किया गया। बैंक के चेयरमैन सोहेल अहमद, महाप्रबंधक महेंद्र कुमार, रीजनल मेनेजर रामनाथ मिश्र ने कहा कि शुभम के इस मुकाम तक पहुंचने में उसकी अपनी लगन के अलावा उनके माता-पिता की तपस्या भी है। देश में पहला मौका है जब किसी बैंकर का बेटा आईएएस टॉपर बना है। मिथिला का पाग पहनाकर उनका स्वागत किया गया।

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