विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र, कहा- छात्रों के साथ न हो जातीय भेदभाव

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कालेजों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है

Update: 2021-09-14 17:31 GMT

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कालेजों को पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी अधिकारी और संकाय का सदस्य छात्रों के किसी समुदाय या वर्ग के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव न करे। आयोग ने विश्वविद्यालयों से वर्ष 2020-21 के दौरान मिलीं जाति आधारित भेदभाव की शिकायतों और उन पर कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है।

जाति आधारित भेदभाव की शिकायतों और उन पर कार्रवाई की जानकारी भी मांगी
यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने सभी कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा है, 'अधिकारियों और संकाय सदस्यों को एससी और एसटी छात्रों के खिलाफ भेदभाव के किसी भी कृत्य से बचना चाहिए।' उन्होंने आगे कहा, 'विश्वविद्यालय, संस्थान या कालेज एससी और एसटी छात्रों द्वारा जातीय भेदभाव की शिकायतों को दर्ज करने के लिए अपनी वेबसाइट पर एक पेज बना सकते हैं और रजिस्ट्रार व प्रधानाचार्य कार्यालय में इस मकसद से एक शिकायत रजिस्टर भी रख सकते हैं। अधिकारियों के संज्ञान में अगर ऐसी कोई घटना आती है तो गलती करने वाले अधिकारी और संकाय सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।'
आयोग ने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों, अध्यापकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों से प्राप्त भेदभाव की शिकायतों की जांच के लिए विश्वविद्यालय एक समिति भी गठित कर सकते हैं।
खाली पदों को जल्‍द भरने के निर्देश
पिछले दिनों शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी ने सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों के खाली पड़े पदों को जल्द चिह्नित कर उन्हें भरने के लिए कहा गया है। साथ ही इसे लेकर उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा है।
मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों के करीब 34 फीसद पद खाली हैं। इनमें अकेले केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के करीब 63 सौ पद खाली हैं, जबकि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के स्वीकृत पदों की कुल संख्या करीब 19 हजार है।


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