अनोखी पहल: प्रदूषण घटाने के लिए प्लास्टिक कचरा डालकर चार्ज करें अपना ई-व्हीकल

स्विट्जरलैंड स्थित क्लाइमेट समूह जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का एक प्रौद्योगिकी भागीदार भी है,

Update: 2022-04-12 10:47 GMT

नई दिल्ली, स्विट्जरलैंड स्थित क्लाइमेट समूह जो संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का एक प्रौद्योगिकी भागीदार भी है, के मुताबिक दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में से दिल्ली सहित भारत के तीन शहर हैं। इन शहरों में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी लोगों को इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने के पहले एक बार सोचने को मजबूर करती है। ऐसे में भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) ने दिल्ली-एनसीआर में ऐसी प्लास्टिक कचरे की मशीनें लगाने का ऐलान किया है जिनसे आपकी इलेक्ट्रिक गाड़ियां चार्ज हो सकेंगी।

SIDBI ने DICCI के साथ मिल कर दिल्ली/एनसीआर में 60 प्लास्टिक रिवर्स वेंडिंग मशीनें लगाने का ऐलान किया है। वहीं इस तरह की लगभग एक हजार मशीनें लगाने की योजना है। इन मशीनों आप खाली प्लास्टिक की बोतलें डाल कर अपनी इलेक्ट्रिक गाड़ी को चार्ज कर सकेंगे। SIDBI के सीएमडी शिवसुब्रमण्यम रमन ने इसे कार्बन फुटप्रिंट घटाने, प्लास्टिक कचरे को कम करने के साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए शानदार पहल बताया है। ये देश में पहली बार होगा जब अपनी खाली प्लास्टिक की बोतलों को कचरे में फेंकने की बजाए उसे जमा कर बिना कोई पैसा दिए अपनी ई-बाइक, ई-स्कूटर और ई-रिक्शा चार्ज कर सकेंगे। आने वाले दिनों में इन मशीनों में प्लास्टिक के अलावा मेटल और अन्य तरह का कचरा डाल कर भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चार्ज किया जा सकेगा। दो प्लास्टिक की बोतलें मशीन में डालकर एक इलेक्ट्रिक दो पहिया वाहन को 15 मिनट के लिए चार्ज किया जा सकेगा।
प्रदूषण घटाने में मिलेगी मदद
इलेक्ट्रिक गाड़ी में किसी तरह का कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार एक डीजल या पेट्रोल गाड़ी की तुलना में एक इलेक्ट्रिक गाड़ी के सड़क पर चलने से लगभग 1.5 मिलियन ग्राम कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आती है। इस कमी को आप ऐसे समझ सकते हैं कि लंदन से बार्सिलोना की चार रिटर्न फ्लाइटों के उड़ने से इतने कार्बन का उत्सर्जन होता है।
कच्चे तेल के आयात को घटाने में मिलेगी मदद
सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता 82.9 प्रतिशत से बढ़कर 83.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह आंकड़े बता रहे हैं कि भारत एक बहुत बड़ी रकम पेट्रोलियम पर खर्च कर रहा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल के इस्तेमाल से भारत की इस निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा यदि आप इलेक्ट्रिक व्हीकल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो इससे बड़े स्तर पर नई नौकरियां पैदा होंगी।
मॉल, मेट्रो स्टेशन और पार्कों में लगेंगी मशीनें
सिडबी के सीएमडी के मुताबिक जल्द ही इस तरह की कचरे की मशीनें मॉल, मेट्रो स्टेशनों, पार्कों आदि सहित ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक जगहों पर लगाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक को ज्यादा से ज्यादा रीसाइकिल किया जाना बेहद जरूरी है। ये CPO26 में हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद करेगा। सिडबी को छोटे व्यवसायों को आगे ले जाने के लिए संसद के एक अधिनियम द्वारा डिज़ाइन किया गया है, इसलिए हम थीटा एनरलिटिक्स जैसे स्टार्ट-अप को एक योग्य कारण के साथ समर्थन देना जारी रखेंगे।"डिक्की के अध्यक्ष पद्मश्री मिलिंद कांबले के मुताबिक काशी में 40 आरवीएम मशीनें लगाई जा रही हैं। दिल्ली और एनसीआर में फिलहाल 60 मशीनें लगाई जा रही हैं। प्लास्टिक प्रदूषण साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को बिगाड़ रहा है। और अब यह हमारे खून तक पहुंच गया है। पहली बार वैज्ञानिकों ने परीक्षण किए गए लगभग 80 प्रतिशत लोगों में माइक्रोप्लास्टिक के छोटे कण पाए हैं। ऐसे में प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन बहुत जरूरी है। इसको ध्यान में रखते हुए देशभर में आरवीएम मशीनें लगाई जाएंगी।
आरवीएम सेंसर वाली मशीनें हैं जो केवल प्लास्टिक की बोतलों को स्वीकार करती हैं और फिर प्लास्टिक को तुरंत काटकर छोटे टुकड़ों में बदल देती हैं जिन्हें रीसाइकिल किया जा सकता हैं। इन प्लास्टिक के टुकड़ों को रीसाइकलिंग के लिए फैक्ट्रियों तक पहुंचाने के लिए भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। इस पहल को प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन 2.0, आत्मानिर्भर भारत मिशन, कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (AMRUT) 2.0, स्टैंड अप इंडिया इनिशिएटिव और COP26 में कार्बन तटस्थता के लिए दी गई राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था।
94% प्लास्टिक हो सकती है रीसाइकिल
भारत के कुल प्लास्टिक कचरे में रीसाइकिल योग्य प्लास्टिक (पीईटी और पीवीसी) का अनुपात 94% है, लेकिन लगभग 79% प्लास्टिक लैंडफिल सहित प्राकृतिक वातावरण में समाप्त हो जाता है। प्लास्टिक का उत्पादन करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों में विषैले पदार्थ होते हैं जो त्वचा, आंखों और दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे ही लैंडफिल में प्लास्टिक का क्षरण होता है, माइक्रोप्लास्टिक को मिट्टी, पानी, पर्यावरण में छोड़ दिया जाता है और आखिरकार ये खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर जाता है। प्लास्टिक जलाने से हाइड्रोक्लोरिक एसिड निकलता है जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है।


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