रामप्पा मंदिर विश्व विरासत में शामिल होने पर केंद्रीय मंत्री ने PM मोदी को दिया धन्यवाद
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने रविवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया.
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी (Union Minister for Culture and Tourism G Kishan Reddy) ने रविवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को उनके मार्गदर्शन और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. दरअसल तेलंगाना में काकतीय रुद्रेश्वर रामप्पा मंदिर (Kakatiya Rudreshwara Temple) को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया गया है. केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि UNESCO ने तेलंगाना में रामप्पा मंदिर को विश्व विरासत शिलालेख के रूप में शामिल किया है.
उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए राष्ट्र की ओर से और विशेष रूप से तेलंगाना के लोगों की ओर से मैं माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए धन्यवाद व्यक्त करता हूं. उनका मार्गदर्शन और समर्थन के कारण ही आज रामप्पा मंदिर को विश्व विरासत में शामिल किया गया. पीएम के अलावा जीके रेड्डी ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की पूरी टीम को भी बधाई दी और विदेश मंत्रालय को भी धन्यवाद दिया.
पीएम ने भी ट्वीट कर दी थी बधाई
मालूम हो कि पीएम ने भी ट्वीट कर पूरे देशवासियों को रामप्पा मंदिर के विश्व विरासत में शामिल होने की बधाई दी थी. साथ ही उन्होंने जनता से एक बार रामप्पा मंदिर के दर्शन करने का आग्रह भी किया था. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, " इस उपलब्धि के लिए सभी को बधाई, विशेष रूप से तेलंगाना के लोगों को. प्रतिष्ठित रामप्पा मंदिर महान काकतीय वंश के उत्कृष्ट शिल्प कौशल को प्रदर्शित करता है. मैं आप सभी से इस राजसी मंदिर परिसर में जाने और इसकी भव्यता का हाथ अनुभव करने का आग्रह करूंगा."
इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में करवाया था
मालूम हो कि तेलंगाना के वारंगल में स्थित यह शिव मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है, जिसका नाम इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम पर रखा गया. इतिहास के अनुसार काकतीय वंश के राजा ने इस मंदिर का निर्माण 13वीं सदी में करवाया था.
खास बात यह है कि इस दौर में बने ज्यादातर मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं, लेकिन कई प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी इस मंदिर को कोई खास नुकसान नहीं पहुंचा है. यह शोध का विषय भी रहा है. मंदिर के इतिहास की बात की जाए तो इसका निर्माण काकतिय नरेश रूद्र रेड्डी ने 1213 में करवाया था. इस मंदिर के निर्माण के दौरान बेहतर नक्काशी और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. इस मंदिर का प्रभावशाली प्रवेशद्वार, विशाल खम्भे और छतों के शिलालेख आकर्षण केंद्र हैं.