केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा - अपना दल के कार्यकर्ताओं व वोटरों को नहीं है कोई असमंजस

केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार गठन के वक्त से ही भाजपा गठबंधन का हिस्सा रहे अपना दल की प्रमुख व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को अक्सर पार्टी के दूसरे धड़े और उनकी मां से भी चुनौती देने की कोशिश होती रही है,

Update: 2022-02-06 15:46 GMT

केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार गठन के वक्त से ही भाजपा गठबंधन का हिस्सा रहे अपना दल की प्रमुख व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को अक्सर पार्टी के दूसरे धड़े और उनकी मां से भी चुनौती देने की कोशिश होती रही है, लेकिन पिछले तीन चुनावों से वह यह साबित करती रही हैं कि पार्टी की विरासत उनके हाथों में ही मजबूत है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाद अब वह पूरे प्रदेश में पार्टी के विस्तार की कवायद में जुटी हैं। पेश है दैनिक जागरण से बातचीत का अंश..

आपके दल का मुख्यत: पूर्वी उत्तर प्रदेश में आधार है और इसी क्षेत्र से भाजपा के कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ सपा का साथ चुना। क्या चुनाव पर इसका कोई प्रभाव पड़ेगा?
-यह नकारना तो अनुचित होगा कि स्वामी प्रसाद मौर्य या दारा सिंह चौहान प्रभावशाली नेता हैं, लेकिन जिस तरह उन्होंने ठीक चुनाव से पहले पाला बदला है उसे जनता सही नहीं मानती। इस तरह जाना किसी विचारधारा या किसी मुद्दे के कारण नहीं होता। यह व्यक्तिगत लाभ के लिए होता है। अगर कोई गंभीर वैचारिक मुद्दा था, तो पहले क्यों नहीं कदम उठाया। अभी जो कुछ उन्होंने किया उसका तो यही अर्थ निकलता है कि वह क्षेत्र में अपनी पकड़ को लेकर ही आश्वस्त नहीं थे। अब पाला बदलकर और सीट बदलकर जीतने की कवायद में जुटे हैं। और अब देखिए कि कहां से लड़ रहे हैं। जनता सब कुछ समझती है।
भाजपा बड़ी पार्टी है, क्या इसके कारण आपको अपने मुद्दे उठाने या सहमति बनाने में मुश्किल हुई?
-देखिए, अपना दल का भाजपा के साथ आठ वर्षों से रिश्ता है और गठबंधन एकतरफा नहीं होता। भाजपा बेशक बड़ी पार्टी है, लेकिन जब कभी जरूरत होती है तो अपना दल सवाल भी उठाता है। नीट का मुद्दा भी ऐसा ही था। विपक्ष के जो दल शोर कर रहे हैं, उनकी ओर से भी नीट में ओबीसी आरक्षण की मांग नहीं की गई थी। हमने भाजपा नेतृत्व से बात की। सरकार ने भी उसे स्वीकृति दी। इसी सरकार में ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया गया। हमारी कुछ और मांगें हैं, जैसे- स्वतंत्र ओबीसी मंत्रालय, क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने आदि। उन पर भी काम होगा।
अपना दल के एक धड़े में हमेशा आपकी मां दूसरी लाइन लेकर चलती हैं। इसके कारण किस तरह की परेशानी होती है?
-कोई चुनौती नहीं है और न ही कार्यकर्ताओं में कोई असमंजस है। मेरे पिता सोनेलाल पटेल के असामयिक निधन के बाद पार्टी की ओर से ही मुझे जिम्मेदारी दी गई थी। मैंने खुद से यह दावा नहीं किया था। इतिहास गवाह है कि जबसे मैंने जिम्मेदारी संभाली, पार्टी का विकास और विस्तार हुआ है। मेरी पार्टी के नेता कार्यकर्ता संतुष्ट हैं। हां, थोड़ी परेशानी हुई थी, लेकिन पिछले तीन चुनावों के जो नतीजे हैं, वे भी जताते हैं कि वोटरों में कोई भ्रम नहीं है। कार्यकर्ताओं को भरोसा है। इस चुनाव में भी यह दिखेगा।
दूसरे धड़े से पल्लवी पटेल सिराथू से उम्मीदवार बनाई गई थीं, लेकिन उन्होंने मना कर दिया है। इसे कैसे देखती हैं?
-यह तो उनका या फिर समाजवादी पार्टी का फैसला है। उन्होंने केशव प्रसाद मौर्य जी के खिलाफ लड़ने से मना कर दिया। मैं इतना ही कह सकती हूं कि हमारा गठबंधन जीतेगा। उत्तर प्रदेश में फिर हमारी सरकार बनेगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आपको स्वार सीट मिली है, जिसे कठिन माना जाता है। यह आपकी पसंद की सीट है या थोपी गई?
-स्वार मेरी पसंद थी। पार्टी अपना विस्तार कर रही है। पूरे प्रदेश में हम चुनाव लड़ रहे हैं और हमें अच्छा उम्मीदवार मिले हैं। शिक्षित हैं, राजनीतिक परिवार से आते हैं। क्षमतावान हैं। मुझे विश्वास है कि वह जीतेंगे।
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