केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने किया आगाह, कहा -धूम्रपान करने वालों के लिए बहुत खतरनाक है कोरोना
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि धूमपान करने वालों में गंभीर बीमारियों और कोरोना से मौत का खतरा
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार को कहा कि धूमपान करने वालों में गंभीर बीमारियों और कोरोना से मौत का खतरा, 40-50 फीसद अधिक होता है। भारत के विकास को प्रभावित करने वाला यह एक ऐसा सामाजिक-आर्थिक बोझ है जिसे नकारा जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि हर्षवर्धन ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह टिप्पणी की। वहां मौजूद सभी लोगों ने तंबाकू से दूर रहने की शपथ ली।
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के लगातार प्रयासों से तंबाकू सेवन का प्रचलन 2009-10 में 34.6 फीसद से घटकर 2016-17 में 28.6 फीसद रह गया। भारत में हर साल तंबाकू सेवन से 13 लाख से अधिक मौतें होती हैं। इस तरह तंबाकू के कारण हर दिन 3,500 से अधिक लोग जान गंवा देते हैं। यह देश पर बहुत बड़ा सामाजिक-आíथक बोझ है। तंबाकू से मौतों और बीमारियों के अलावा देश का आíथक विकास भी प्रभावित होता है।
डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार भारत में तंबाकू के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियों और मौतों से देश पर 1.77 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ पड़ता है जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक फीसद है।
स्वस्थ्य मंत्री ने तंबाकू के सेवन को सीमित करने के प्रयासों का जिक्र करते हुए बताया कि सरकार ने 1975 में सिगरेट अधिनियम लागू किया था जो विज्ञापन में और और सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक स्वास्थ्य चेतावनियों को दर्शाना अनिवार्य करता है। अपने करियर के हर कदम पर तंबाकू के खिलाफ लड़ाई को याद करते हुए, वर्धन ने कहा कि हमने 1997 में धूमपान के खिलाफ दिल्ली विधानसभा में नया कानून पारित कराया था।
बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2002 में सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान प्रतिबंध लगाने वाले केंद्रीय कानून के लिए यही कानून आदर्श बना। इसके बाद 2003 में व्यापक तंबाकू नियंत्रण कानून (कोटपा 2003) बनाया गया। इस कानून से सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान करने और तंबाकू के विज्ञापन और प्रचार पर भी रोक लगाई गई।