दो शातिर गिरफ्तार: फर्जी तरीके से लोन लेकर 50 से ज्यादा बैंक और कई फाइनेंस कंपनियों को लगाया चूना, कारनामे सुनकर रह जाएंगे दंग
4 लग्जरी कार, लैपटॉप दर्जनों मोबाइल और अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं
राजधानी जयपुर शहर में सिंधी कैंप थाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए फर्जी नाम पते से फर्जी बैंक खाता खुलवा कर फाइनेंस कंपनियों और बैंकों से करोड़ों रुपये का लोन और गाड़ी खरीदने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने गिरोह के दो शातिर बदमाशों को गिरफ्तार किया है.
गिरफ्तार आरोपियों में सत्येंद्र देशवाल और राज सिंह ठाकुर है. पुलिस ने आरोपियों से फर्जी तरीके से लोन उठाकर और खरीदी गई करीब 4 लग्जरी कार, लैपटॉप दर्जनों मोबाइल और अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं. पुलिस की पूछताछ में गिरोह ने करीब 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी किया जाना कबूल किया है.
थाना प्रभारी गुंजन सोनी के मुताबिक, सिंधी कैंप थाना स्थित एसबीआई शाखा के मैनेजर की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था कि फर्जी तरीके से किसी व्यक्ति ने फाइनेंस कंपनी के जरिए दस्ते दस्तावेजों की एफआई कराकर लोन उठाया है. पीड़ित की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया.
इनमें सत्येन्द्र के नीतीश उर्फ राजपाल उर्फ संजय कुमार उर्फ मनन राय उर्फ सुधीर उर्फ दुर्गा उर्फ रोहित उर्फ मोहित उर्फ दिनेश उर्फ मनोज उर्फ संदीप उर्फ श्रीनिवास बेलागडुला उर्फ अंकित चावला नाम सामने आए हैं. दूसरे बदमाश राज सिंह ठाकर के संदीप कुमार उर्फ राजेश चौधरी उर्फ श्रीनिवास विलांगडुला नाम सामने आए हैं.
आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि आरोपी अब तक एसबीआई, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक, यश बैंक, बजाज फाइनेंस, होम क्रेडिट फाइनेंस, बैंक ऑफ बड़ोदा, टाटा फाइनेंस, वॉक्सवैगन फाइनेंस के साथ 100 फर्जी दस्तावेज तैयार करके 50 से ज्यादा वारदातों को अंजाम देकर करीब 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुके हैं.
पुलिस के मुताबिक, यह गिरोह आधार कार्ड, आईडी कार्ड समेत अन्य सभी दस्तावेजों फर्जीवाड़ा करते हुए अपने नाम पहचान और पता बदल लेते हैं. इन दस्तावेजों के जरिए बदमाश मिलीभगत करते हुए फाइनेंस कंपनियों के साथ ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं..
अब तक बदमाशों ने करीब 50 से ज्यादा राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश और हरियाणा में ठगी की वारदातों को अंजाम देना कबूल किया है. बहरहाल पुलिस बदमाशों से पूछताछ के बाद फाइनेंस कंपनियों के एजेंटों की ओर से की जाने वाली मिलीभगत का पता लगा कर मामले की जांच पड़ताल में जुट गई है.