आमने-सामने आए दो गुट, गोलीबारी में 2 की गई जान

पुलिस के मुताबिक अभी भी उन विशेष क्षेत्रों में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है...

Update: 2024-04-14 02:47 GMT

सांकेतिक तस्वीर

इंफाल: मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही. यहां कुकी और मैतेई समुदाय के बीच संघर्ष का दौर जारी है. जानकारी के मुताबिक 2 सशस्त्र उपद्रवी समूहों के बीच एक बार फिर गोलीबारी हुई है. बताया जा रहा है कि उपद्रवियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की. गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हो गई.
पुलिस ने बताया कि मृतकों की पहचान कांगपोकपी जिले के मफौदाम पुलिस स्टेशन के तहत नोंगदाम कुकी के कम्मिनलाल लुफेंग (23) पुत्र पाओलेट लुफेंग और कांगपोकपी जिले के बोंगजांग गांव के कमलेंगसैट लुनकिम (22) पुत्र थांगखोमांग लुनकिम के रूप में की गई है.
बता दें कि थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिन की क्रॉस फायरिंग के बाद इम्फाल पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा भड़क उठी. जिसमें कांगपोकपी और इम्फाल पूर्व दोनों के हथियारबंद उपद्रवी शामिल थे.
पुलिस के मुताबिक अभी भी उन विशेष क्षेत्रों में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है जो कांगपोकपी, उखरुल और इंफाल पूर्व के ट्राई जंक्शन हैं. बता दें कि मणिपुर में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है.
इससे पहले फरवरी में इंफाल पूर्वी जिले में दो समुदायों के बीच गोलीबारी में एक 25 वर्षीय ग्रामीण स्वयंसेवक की मौत हो गई थी. इस गोलीबारी में दो लोग घायल हो गए थे. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि गोलीबारी कांगपोकपी जिले की सीमा से लगे पुखाओ शांतिपुर में हुई. मृतक की पहचान सगोलसेम लोया के रूप में हुई है, जिसे इंफाल के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
पिछले साल 3 मई को मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के बाद भड़की जातीय हिंसा के बाद से मणिपुर में 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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