दूसरी लहर के बीच जबरदस्त कमाई, जानें सरकार ने कैसे बढ़ाया टैक्स कलेक्शन
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नई दिल्ली: फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में सरकार को टैक्स के जरिए रिकॉर्ड 27.07 लाख करोड़ रुपये की इनकम हुई. रेवेन्यू सेक्रेटरी ने बताया कि अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच सरकार का ग्रॉस टैक्स कलेक्शन (Gross Tax Collection) 27.07 लाख करोड़ रुपये रहा. टैक्स कलेक्शन का ये आंकड़ा पिछले फाइनेंशियल ईयर के बजट अनुमान के मुकाबले काफी अधिक रहा.
भारत सरकार ने यह उछाल तब हासिल की है जब देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा था. कोरोना काल में लोगों का अस्पताल का खर्च बढ़ा, वेतनों में कटौती हुई, फैक्ट्रियां बंद हुईं. बावजूद इसके देश के टैक्स कलेक्शन में यह उछाल आश्चर्यजनक है. कई लोगों के मन में यह सवाल है कि आखिर इस कमाई का राज क्या है?
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कॉरपोरेट जगत टैक्स का बड़ा जरिया बना. इस बीच कंपनियों के मुनाफे में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई. इस वजह से रिकॉर्ड कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन देखा गया. साथ ही शेयर बाजार में भी शानदार तेजी देखी गई. निवेशकों ने भी खूब पैसा बनाया.
इस मामले में सरकार का भी कहना है कि टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग के माध्यम से टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही करों में बेहतर अनुपालन के चलते ये सफलता हासिल हुई है. मतलब साफ है टैक्स की चोरी को रोकने और जो लोग ज्यादा कमाई के बावजूद टैक्स का भुगतान नहीं कर थे, टैक्स विभाग के प्रयासों से ऐसे लोगों को टैक्स के दायरे में लाने में सफलता मिली है.
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax) जिसमें GST और एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty) शामिल है उसके कलेक्शन में तेजी आई है. इसमें सरकार द्वारा पेट्रोल डीजल पर वसूला जाने वाला एक्साइज ड्यूटी भी शामिल है. 4 नवंबर 2021 से पहले मोदी सरकार पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती थी. फिलहाल पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी घटकर 27.90 रुपये और डीजल पर घटकर 21.80 रुपये रह गई है. लेकिन इसके जरिए सरकार की कमाई में बढ़ोतरी हुई है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी सेस के जरिए 4.55 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था.
दरअसल यह एक सिंपल सा हिसाब है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम घटते हैं तो सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर खजाना भर लेती है. लेकिन ऐसे में आम लोगों को बिल्कुल राहत नहीं दी जाती. हालांकि जब कच्चा तेल महंगा होता है तो इसे सीधा तौर पर आम लोगों की जेब से ही वसूला जाता है.
ऐसे में आम लोगों को पेट्रोल-डीजल महंगा खरीदना पड़ता है. महंगे फ्यूल की वजह से सामान का इंपोर्ट-एक्सपोर्ट भी महंगा हो जाता है. इसी कारण सामानों पर भी महंगाई बढ़ती है और यह बोझ आम आदमी को झेलना होता है.