सरयोलसर की ओर बढ़े सैलानियों के कदम

Update: 2024-05-21 12:06 GMT
आनी। देशभर के कई राज्यों में लोग शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी से आहत हैं। इससे हिमाचल के कई जिले भी अछूते नहीं हैं। ऐसे में गर्मी से राहत पाने के लिए सैलानी पहाड़ी का रूख कर रहे हैं। इसी कड़ी में कुल्लू जिला के आनी उपमंडल में एनएच-305 सडक़ मार्ग के मध्य लगभग 10 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित जलोडी दर्रा और दर्रे से तीन किलोमीटर आगे प्राकृतिक सरयोलसर झील सैलानियों के लिए पसंदीदा सैरगाह बनी हुई है। आनी क्षेत्र में पर्यटन की आपार सम्भावनाएं हैं। पर्यटकों के लिए यह स्थान स्वर्ग से कम नहीं है। आनी के जलोड़ी दर्रे से तकरीबन तीन किलोमीटर आगे सरयोलसर यात्रा शुरू होती है और यह ऐतिहासिक व धार्मिक झील एक किलोमीटर के दायरे तक फैली है। जलोड़ी दर्रे की बर्फ से ढकी उंची मनमोहक चोटियां पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। देश-विदेश के पर्यटक इन दिनों इन अनछुए एवं खूबसूरत नजारों को देखने के लिए इन दिनों जलोड़ी दर्रे तथा सरयोलसर पहुंच रहे हैं।
यहां की अलौकिक सुंदरता और निर्मल झील का दीदार कर आनंदित हो रहे हैं। सरयोलसर झील चारों ओर से रैईण खरशू आदि पेड़ों से घिरी है। इसके शीर्ष पर माता बूढ़ी नागिन का मंदिर है। मान्यता है कि नाग माता बूढ़ी नागिन सरयोलसर झील में वास करती है और क्षेत्र की जनता सुख समृद्धि की कामना के लिए झील के चारों ओर गाय के घी की धार से परिक्रमा करते हैं। श्रद्धालू अपनी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं। इस निर्मल झील की सफाई पेड़ों पर बैठी आभी नाम की एक चिडिया करती है जो झील में गिरने वाले हर तिनके को अपनी चोंच में उठाकर झील से कई सौ मीटर दूर जाकर फेंकती है। आनी के जलोड़ी दर्रे और सरयोलसर का प्राकृतिक दृष्य यहां आने को मजबूर कर देता है।
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