कल सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे मन की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार को सुबह 11 बजे अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के 74वें संस्करण के दौरान राष्ट्र को संबोधित करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) रविवार को सुबह 11 बजे अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' (Mann Ki Baat) के 74वें संस्करण के दौरान राष्ट्र को संबोधित करेंगे. पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लोगों से इस महीने की शुरुआत में 'मन की बात' के लिए अलग-अलग विषयों पर विचार और सुझाव मांगे थे. पीएम मोदी 'मन की बात' में कई मुद्दों पर देश को संबोधित करते हैं. 74वां एपिसोड कई मायनों में बेहद खास माना जा रहा है. पीएम मोदी ऐसे समय में 'मन की बात' करने जा रहा हैं जब किसान आंदोलन लगातार जारी है. साथ ही पिछले कई दिनों से युवा सोशल मीडिया पर रोजगार का मुद्दा उठा रहे हैं.
पीएम मोदी ने पिछले एपिसोड में कहा था कि 'मन की बात' से उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और इसके जरिए लोगों की ओर से साझा किए गए अनुभव उन्हें बहुत प्रेरित करते हैं व ऊर्जा से भर देते हैं.'मन की बात' को लेकर अक्सर विपक्षी दल प्रधानमंत्री की आलोचना करते रहे हैं. उनका आरोप है कि इस कार्यक्रम के जरिए मोदी अपने मन की बात तो करते हैं लेकिन जनता की बात नहीं सुनते. इन आलोचनाओं का जवाब प्रधानमंत्री ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम की पिछली कड़ी में कुछ इस प्रकार दिया था.
'मुझे बहुत कुछ जानने-सीखने को मिलता है'
उन्होंने कहा, '''मन की बात' में श्रोताओं को क्या पसंद आता है, ये आप ही बेहतर जानते हैं. लेकिन मुझे 'मन की बात' में सबसे अच्छा ये लगता है कि मुझे बहुत कुछ जानने-सीखने और पढ़ने को मिलता है. एक प्रकार से… परोक्ष रूप से आप सबसे जुड़ने का अवसर मिलता है. किसी का प्रयास, किसी का जज्बा, किसी का देश के लिए कुछ कर गुजर जाने का जुनून, यह सब मुझे बहुत प्रेरित करते हैं और ऊर्जा से भर देते हैं.
पीएम ने पिछले एपिसोड में इन लोगों का किया जिक्र
इस क्रम में प्रधानमंत्री ने हैदराबाद के बोयिनपल्ली में एक स्थानीय सब्जी मंडी में खराब हो जाने वाली सब्जियों से 500 यूनिट बिजली उत्पादन करने, हरियाणा के पंचकुला की बड़ौत पंचायत में गंदे पानी को फिल्टर कर सिंचाई में इस्तेमाल करने और पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश के तवांग में ''मोन शुगु'' नाम का पेपर बनाए जाने की कला को पुनर्जीवित करने के एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता के प्रयासों की प्रेरक कहानियों का विवरण भी दिया था.