आज का पंचांग यानि दैनिक पंचांग अंग्रेंजी में Daily Panchang भी कह सकते हैं। दिन की शुरुआत अच्छी हो, जो काम हम आज करने वाले हैं उसमें हमें सफलता मिले। घर से लेकर दफ्तर तक, पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल लाइफ में आज हम जो निर्णय लेने वाले हैं उनके परिणाम हमें सकारात्मक मिलें इसके लिये जरुरी है कि वह कार्य शुभ समय, शुभ मुहूर्त में शुरु किये जायें। महत्व पूर्ण निर्णय लेने के समय ग्रह, नक्षत्र एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हमारे लिये कर रहे हों। इसी की जानकारी हमें आज का पंचांग से मिलती है।
आज तिथि कौनसी है? वार यानि दिन कौनसा है? चंद्रमा किस राशि में हैं? किस नक्षत्र में हैं? क्या वह शुभ प्रभाव डाल रहे हैं? सूर्योद्य का समय क्या है? सूर्यास्त का समय क्या है? चंद्रोद्य कब हो रहा है? कौनसा पक्ष चल रहा है? करण क्या है? योग क्या बन रहे हैं? पूर्णिमांत माह कौनसा चल रहा है? अमांत माह कौनसा चल रहा है? सूर्य राशि क्या बन रही है? सूर्य किस नक्षत्र में हैं? ऋतु कौनसी चल रही है? अयन क्या है? शुभ समय या शुभ काल क्या है? अशुभ समय आज कब से कब तक रहेगा ये सब जानकारियां हमें आज का पंचांग से मिलती हैं।
आज का पचांग (Aaj Ka Panchang) हमारे दैनिक रोजमर्रा के कामों के लिये काफी मददगार हो सकता है। हमें पता रहता है कि आज हमारे लिये कौनसा समय महत्वपूर्ण कार्यों को करने या निर्णयों को लेने के लिये शुभ परिणाम देने वाला रहेगा। इस प्रकार पंचांग की मदद से हम अपने दिन की एक बेहतर योजना बना सकते हैं। यदि पंचांग के अनुसार आज के लिये हमारे ग्रहों की दशा व दिशा शुभ संकेत नहीं कर रही है तो हम अपने कार्यों को थोड़े समय के लिये होल्ड कर सकते हैं या फिर आवश्यक कार्य बिना किसी लापरवाही के सावधानी के साथ निपटा सकते हैं। कुल मिलाकर समय के अनुसार हम सतर्क रह सकते हैं।
तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण दैनिक पंचांग के मुख्य पांच अंग होते हैं।
तिथि
एक माह में दो पक्ष होते हैं। एक पक्ष में पंद्रह तिथियां होती है। पहली तिथि को प्रतिपदा कहा जाता है। कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली प्रतिपदा को कृष्ण प्रतिपदा कहा जाता है तो शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुक्ल प्रतिपदा। कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है तो शुक्ल पक्ष का समापन पूर्णिमा को होता है।
वार
एक सप्ताह में सात वार होते हैं जो कि सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार और रविवार हैं।
नक्षत्र
नक्षत्रों की संख्या ज्योतिष शास्त्र में 27 मानी गई है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होते हैं उसी के नाम पर हिंदू महीनों के नाम रखे गये हैं।
योग
वैसे तो अलग-अलग पंचांग व अलग-अलग ज्योतिषीय पद्धतियों में योगों की संख्या भी अलग-अलग होती है किसी किसी में यह संख्या 300 से भी ऊपर होती हैं लेकिन मुख्यत: इनकी संख्या 27 मानी जाती है।
करण
करण किसी भी तिथि के आधे हिस्से को कहा जाता है। इस प्रकार एक तिथि में दो करण होते हैं। माह के दोनों पक्षों की तिथियों को मिलाकर देखा जाये तो 30 तिथियां बनती हैं इस प्रकार से करणों की संख्या भी 60 हो जाती है।