थ्रोबॉल रोबोट: इसके बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे
आतंकियों को मारने में की थी सेना की मदद.
गुरुग्राम: बम जैसे दिखने वाले रोबोट का नाम है आइरिस (Intelligent Remote Information Sensor - IRIS). लेकिन इसे बनाने वाले और इसे यूज़ करने वाले फौजी प्यार से इसे थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) कहते हैं. क्योंकि इसे दुश्मन की तरफ फेंक दिया जाता है. वहां जाते ही ये जासूसी, रेकी, निगरानी का काम शुरु कर देता है. ये तुरंत बता देता है कि माहौल कितना परेशान करने वाला है. उसके लिए कितनी तैयारी की जरूरत पड़ेगी.
हम इसे थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) ही कहेंगे. गुरुग्राम स्थित द हाइटेक रोबोटिक्स सिस्टम्ज लिमिटेड (The Hightech Robotics Systemz Ltd.) ने इसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के साथ मिलकर बनाया है. कंपनी में डीजीएम, बिजनेस डेवलपमेंट अपूर्व त्रिपाठी ने बताया कि असल में इस रोबोट की कहानी शुरु होती है साल 2009 में हुए 26/11 मुंबई हमले के समय. ताज होटल में भारतीय जवान जा रहे थे. लेकिन आतंकियों के गोली के शिकार बन रहे थे. पता नहीं चल रहा था कि आतंकी कहां छिपे बैठे हैं. तब इस रोबोट को बनाने का आइडिया आया.
आजतक की खबर के मुताबिक अपूर्व त्रिपाठी ने कहा कि अगर किसी इमारत के अंदर आतंकवादी या क्रिमिनल किसी को बंधक बना लें. या खुद उसमें छिपकर बैठे हों. पुलिस, सेना या स्पेशल कमांडों फोर्स को नजदीक न जाने दें. उन्हें फायरिंग से रोके. तब यह गेंदनुमा रोबोट काम आता है. इसका वजन 590 ग्राम से भी कम है. इसे आसानी से कोई भी जवान रोशनदान या खिड़की के जरिए उस कमरे में फेंक सकता है, जिसमें आतंकी या क्रिमिनल छिपे हों.
अब सवाल ये उठता है कि ये है तो गेंद की तरह. सीधा कैसे होगा. कैमरा तो किसी भी डायरेक्शन में देखने लगेगा. अपूर्व ने बताया कि थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) में ऐसा बेस बनाया गया है कि यह कितना भी उलटा-पुलटा हो जाए. यह खुद-ब-खुद अपने बेस पर खड़ा हो जाता है. अगर नहीं हो पाता है तो रिमोट से इसे सीधा कर दिया जाता है. इसमें ऑडियो और वीडियो दोनों का ऑप्शन है. ताकि आवाज स्पष्ट सुनाई दे. तस्वीर साफ दिखाई दे.
थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) में एक कैमरा सामने की तरफ और एक कैमरा ऊपर की तरफ लगा है. जिसकी वजह से यह 360 डिग्री का व्यू दिखाता है. रोबोट में इंफ्रारेड कैमरा लगा है. यानी घुप अंधेरे में भी यह स्पष्ट तस्वीर दिखाता है. यानी इसका उपयोग जंगलों में घात लगाकर हमला करने, नक्सलरोधी अभियान चलाने के लिए किया जा सकता है. अपूर्व ने बताया कि हमने इस रोबोट को सेना मुख्यालय में दिखाया. हमसे कहा गया कि इसे तत्काल उत्तरी कमांड (Northern Command) लेकर जाइए.
उत्तरी कमांड में जब थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) की ताकत और काबिलियत को दिखाया गया तो उन्होंने ऐसे 50 रोबोट्स का ऑर्डर दिया. अब ये 50 रोबोट्स राष्ट्रीय राइफल्स (RR) के पास हैं. नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) के पास पांच रोबोट्स हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भी 21 रोबोट्स की मांग की है. टेंडर निकाला है. जल्द ही उन्हें भी थ्रोबॉल रोबोट्स मिल जाएंगे.
अपूर्व ने बताया कि साल जनवरी 2016 में जब पठानकोट एयर फोर्स स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ था, तब कैंटीन में कुछ आतंकी छिपे थे. उन्होंने कैंटीन को चारों तरफ से बंद कर दिया था. बीच-बीच में भारतीय जवानों के ऊपर फायरिंग कर रहे थे. समझ में ये नहीं आ रहा था कि कैंटीन में कितने आतंकी हैं. तब सैन्यबलों ने कैंटीन के अंदर इस थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) को फेंका. इसने जो दिखाया वो किसी फिल्मी नजारे से कम नहीं था. आतंकियों ने सारे दरवाजों को बिस्तर, अलमारी, कुर्सी, टेबल आदि से ब्लॉक कर रखा था. अंदर दो आतंकी थे. पहले सैन्य बलों ने उन्हें खूब थकाया. इसके बाद कैंटीन को बम से उड़ा दिया.
इसी तरह अक्टूबर 2016 में जब पंपोर स्थित इंटरप्रन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की इमारत पर आतंकियों ने हमला किया, तब भी थ्रोबॉल रोबोट (Throwball Robot) की मदद से आतंकियों की पोजिशन पता की गई थी. यह मुठभेड़ तो दो-तीन दिन तक चली थी. खैर, अब जानते है इस बमनुमा दिखने वाले रोबोट के फीचर्स के बारे में...
यह 90 मिलिमीटर व्यास का एक रग्ड रोबोटिक गोला है. जिसका वजन 590 ग्राम से कम है. यह कितनी भी गति से फेंका जाए, रुकते ही खुद को स्टेबलाइज कर लेता है. इसे एक व्यक्ति 100 मीटर दूर से रिमोटली ऑपरेट कर सकता है. माइनस 20 डिग्री सेल्सियस से लेकर 55 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम कर सकता है. इसमें दो कैमरे लगे हैं. एक सामने की तरफ और दूसरा ऊपर की तरफ. यह मिशन के दौरान दो घंटे तक काम करता रहता है. (फोटोः गेटी)
इसका उपयोग रेड, रेकी, सर्च एंड रेस्क्यू, सर्विलांस ऑपरेशन, SWAT ऑपरेशंस, दुरूह जगहों की निगरानी, रस्सी, खंभे और तार से भी तैनात किया जा सकता है. इसका ऑडियो और वीडियो फीड रिकॉर्ड हो जाता है. रिमोट वाला ही नहीं बल्कि इसके साथ लगने वाले कमांडर किट की मदद से मिशन को संचालित कर रहे कंमाडर भी निगरानी कर सकते हैं. इसमें कोई ऑन-ऑफ स्विच नहीं है, जिससे इसे बंद किया जा सके. यह काम सिर्फ इसे चलाने वाला ही कर सकता है. इसके दो वर्जन हैं, एक कैमरे वाला और दूसरा दो कैमरे वाला.