तीन शातिर पुलिस के चंगुल में, आरोपियों के बैंक खाते पर भी एक्शन, कैसे ठग गैंग करता था काम?
पुलिस ने साइबर ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश किया है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले की पुलिस ने साइबर ठगों के एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. ठगी करने वाले गिरोह के तीन शातिर अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. ये ठग ईपीएफ में मैच्योरिटी की मोटी रकम दिलाने के नाम पर साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम देते थे.
गिरफ्तार आरोपियों के पास से पुलिस ने 34 एटीएम कार्ड, 14 मोबाइल फोन, एक स्विफ्ट कार, कई आधार कार्ड, पैन कार्ड और चेकबुक बरामद किया है. गिरफ्तार आरोपियों के नाम राहुल, घनश्याम और धर्मेंद्र हैं. यह गिरोह बेहद शातिराना अंदाज में ठगी की वारदात को अंजाम देता था.
राहुल और घनश्याम इस गिरोह के सरगना बताए जा रहे हैं, वहीं धर्मेंद्र अपनी कॉलिंग टीम के जरिए लोगों की पड़ताल करता था, जिसके बाद ये गिरोह उनसे ठगी करता था. पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार अपराधियों ने बताया कि 2012 से वे इसी तरीके के साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. पहले यह गैंग फर्जी कागजों और सिम कार्डो के जरिए बैंकों में अपने अकाउंट खुलवाता था.
राहुल और घनश्याम इन अकाउंट्स के एटीएम कार्ड को अपने पास रखा करते थे. धर्मेंद्र सैलरी पर रखे कॉलिंग स्टाफ के जरिये कॉल कराता था और लोगों से धांधली कर पैसे जुटाता था. आरोपी राहुल और घनश्याम, धर्मेंद्र को ठगी से मिली रकम से उसका हिस्सा और उसकी कॉलिंग टीम को सैलरी दिया करते थे.
ठगों के निशाने पर रिटायर्ड सरकारी अधिकारी और कर्मचारी हुआ करते थे. खुद को ईपीएफओ अधिकारी बताकर यह लोगों को भरोसे में ले लिया करते और फिर उनके खातों से रकम उड़ा लेते थे. पुलिस से बचने के लिए यह गिरोह महाराष्ट्र और गुजरात के लोगों को निशाना बनाया करता था.
पुलिस ने जांच के दौरान मिले इनके बैंक खातों को सील करवा दिया है. आशंका है कि अब तक सैकड़ों लोगो से ठगी की घटनाओं को ये अपराधी अंजाम दे चुके हैं. पुलिस आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद से ही मामले की विस्तृत पड़ताल कर रही है.