स्मार्ट सिटी में चुनौती बन गए तीन प्रोजेक्ट

Update: 2024-04-28 09:56 GMT
शिमला। एक तरफ स्मार्ट सिटी मिशन को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने जून, 2024 की डेटलाइन दी है, वहीं दूसरी तरफ शिमला शहर में इस मिशन के तहत चल रहे कुछ प्रोजेक्ट चुनौती बन गए हैं। स्मार्ट सिटी के तहत शिमला में करीब 820 करोड़ खर्च हुए हैं, जिसमें से करीब 500 करोड़ भारत सरकार से आए हैं, जबकि 200 करोड़ राज्य सरकार ने लगाए हैं। कुछ पैसा कन्वर्जेंस के जरिए भी लगाया गया है। राजधानी में स्मार्ट सिटी के अधिकांश प्रोजेक्ट पूरे होने वाले हैं। ढली टनल बनकर तैयार है और अब इस्तेमाल हो रही है, जबकि ऐतिहासिक रिज की स्टेबलाइजेशन का प्रोजेक्ट भी मई के महीने में पूरा हो रहा है। इसके बावजूद तीन प्रोजेक्ट अब भी चुनौती बने हुए हैं, जिनकी स्पीड काफी धीमी है। इनमें लकड़बाजार से रिज के लिए बना रही लिफ्ट शामिल है। इसके अभी बेस पिल्लर ही खड़े हुए हैं और रिज तक पहुंचने में काफी वक्त लगेगा। आईजीएमसी के पास बन रही बहुमंजिला पार्किंग और शहर के बीचोंबीच बन रहा खलीणी बाइपास भी चिंता का कारण बने हुए हैं।

आईजीएमसी पार्किंग 45 करोड़ की लागत से बन रही है, लेकिन इसमें कटिंग ज्यादा होने के कारण तय लक्ष्य अब तक हासिल नहीं किया जा सका है। हालांकि काम लगातार चल रहा है। दूसरी तरफ खलीणी बाइपास के मामले में चुनाव आचार संहिता के कारण दूसरी बार लगाया गया टेंडर ही अटक गया है। राज्य सरकार ने केंद्रीय लोक निर्माण विभाग की जमीन होने के कारण यह प्रोजेक्ट सीपीडब्ल्यूडी को दे दिया है। 19 करोड़ की लागत से यहां बाईपास बना है और खलीणी का ऊपर वाला चौक इससे बाइपास हो जाएगा। यहीं, सबसे ज्यादा जाम की समस्या भी पेश आती है। इससे पहले इस प्रोजेक्ट के लिए टेंडर लगा था, लेकिन सिंगल टेंडर होने के कारण इसे दोबारा लगाने को कहा गया। अब चुनाव आचार संहिता में प्रक्रिया अटक गई है। शहरी विकास विभाग के निदेशक गोपाल चंद ने पिछले कल ही शिमला शहर के प्रोजेक्टों का खुद निरीक्षण किया है। वह इसके बारे में रिपोर्ट शहरी विभाग के सचिव को देंगे। स्मार्ट सिटी की बहुत सी परियोजनाओं को लागत बढऩे के बाद अतिरिक्त पैसा शहरी विकास सचिव ने उपलब्ध करवाया था, इसलिए वह प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगते हैं। जो प्रोजेक्ट तय सीमा से पीछे चल रहे हैं, उनको लेकर कुछ फैसला भी हो सकता है।
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