रेमडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में एक डॉक्टर सहित तीन लोग गिरफ्तार
पूरे देश में कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी जोरो पर है.
पूरे देश में कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी जोरो पर है. इस इंजेक्शन की ब्लैकमार्केटिंग और तस्करी के मामले रोज सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला तमिलनाडु में भी सामने आया है. जहां रेमडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में पुलिस ने एक डॉक्टर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया है.
तमिलनाडु में सिविल सप्लाई के मामलों की निगरानी करने वाली सीआईडी (CID) पुलिस ने रेट्रो वायरल ड्रग रेमडेसिविर की कालाबाजारी में शामिल तीन लोगों को धरदबोचा. दरअसल, जैसे-जैसे कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई, रेमडेसिविर की मांग बढ़ती गई. हाल ये हो गया रेमडेसिविर की एक शीशी जो आमतौर पर 3,400 की आती है. वो ब्लैक मार्केट में 20,000 रुपये में बेची जा रही है.
कालाबाजारी करने वाले आम जनता के डर और घबराहट का फायदा उठाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं. इस मामले ने तमिलनाडु सरकार को अपने काउंटर खोलने और जनता के लिए दवा बेचने के लिए मजबूर कर दिया. इसके बाद निजी अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीजो के सैकड़ों रिश्तेदारों या दोस्तों को चेन्नई किलपुक सरकारी अस्पताल के सामने दवा खरीदने के लिए इकट्ठा होते देखा जा सकता है.रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने चाबुक चलाया और तमिलनाडु पुलिस हरकत में आ गई. सिविल सप्लाइज CID पुलिस ने एक टिप के आधार पर चेन्नई हिंदू मिशन अस्पताल के पास रेमडेसिविर बेचने वाले एक गिरोह का पता लगाया. फिर जाल बिछाया और एक डॉक्टर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
पकड़े गए डॉक्टर की पहचान इमरान खान के रूप में की गई और उसे रेमडेसिविर की 17 शीशियों के साथ पकड़ा गया है. टीम को पता चला था कि तिरुवन्नामलाई से विग्नेश नामक एक शख्स ने 8,000 रुपये के हिसाब से कई शीशियां बेची हैं. बदले में आरोपी डॉक्टर ने कथित तौर पर एक शीशी को 20,000 रुपये तक बेचने की कोशिश की थी.
सिविल सप्लाइज सीआईडी की पुलिस अधीक्षक शांति ने कहा कि ईकुटुथंगल से राजकुमार नामक एक शख्स की पहचान भी की गई. आगे की जांच और कार्रवाई के लिए यह मामला तंबरम पुलिस को सौंप दिया गया है. इस बीच, पब्लिक हेल्थ एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन के निदेशक टीएस सेल्विनायागम ने कहा कि रेमडेसिविर को लेकर बेवजह लोगों में घबराहट है. इसे लेकर कृत्रिम मांग पैदा की जा रही है. रेमडेसिविर जीवन रक्षक दवा नहीं है और यह अनिवार्य रूप से रोगी के लिए अनुशंसित भी नहीं है.