ब्रेकिंग: बिलकिस बानो केस में आया ये नया अपडेट

Update: 2022-12-10 08:29 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बिलकिस बानों से बलात्कार और हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की जल्द रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 13 दिसंबर को सुनवाई करेगा. यह याचिका बिलकिस बानो ने ही दायर की है. जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी.
गुजरात सरकार की सिफारिश के बाद 2002 में बिलकिस बानो से गैंगरेप के बाद उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी पाए गए इन 11 लोगों को मुंबई की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद ऊपर की अदालतों ने भी इस सजा को बरकरार रखा था, लेकिन इसी साल उनको आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में समय गुजरात सरकार ने पूर्व रिहाई का लाभ दे दिया.
रिहाई के इस आदेश को पहले किसी तीसरे पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इसके बाद खुद बिलकिस बानो ने याचिका दायर कर दी. वहीं गुजरात सरकार का कहना है कि दोषी समुचित सजा काट चुके हैं, लेकिन याचिका ने उम्रकैद मतलब आखिरी सांस तक जेल की दीवारों के भीतर कैद रखने की व्याख्या लागू करने की बात कही गई है.
इतना ही नहीं बिलकिस की ओर से कहा गया है कि इस मामले में रिहाई की नीति महाराष्ट्र की लागू होनी चाहिए, न कि गुजरात की क्योंकि कानून के मुताबिक, समुचित सरकार का मतलब इस मामले में महाराष्ट्र सरकार है ना कि गुजरात सरकार. महाराष्ट्र में ही यह मामला सुना गया और सजा भी यहीं सुनाई गई.
27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था. इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे. इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं.
बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं. इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.
इस मामले में सीबीआई कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत रिहा करने की मांग की थी. गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया. इसके बाद दोषी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार फैसला करे. कोर्ट के निर्देश पर ही गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला लेने के लिए एक कमेटी बनाई. कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया.
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