वडोदरा: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अभी कोर्ट में चल रहा है. तमाम दावों के बीच वडोदरा के एक मूर्तिकार ने इस पूरे मामले को लेकर एक मूर्ति बनाई है. जिसमें नंदी और शिवजी का वर्षों बाद मिलन होते हुए दिखाया गया है.
देशभर में इस समय काशी की ज्ञानवापी मस्जिद चर्चा का विषय बनी है. इस मस्जिद में जांच के दौरान मंदिर होने के सबूत मिले हैं और इस मामले में कोर्ट में दलीले भी हो रही हैं. हिन्दू संगठन यह दावा कर रहा है कि यहाँ पहले मंदिर था, लेकिन कुछ शासकों ने यहां मस्जिद बना दी होगी.
इस मस्जिद के वजुखाने में शिवलिंग होने का भी दावा किया जा रहा है. वडोदरा के एक कलाकार ने इस मामले में एक मूर्ति बनाई है, जिसमें उसने दिखाया है कि नंदी महाराज वर्षों से शिवजी की राह तक रहे थे, लेकिन इतने लंबे समय बाद जब शिवजी से उनका मिलन हुआ तो वो शिवलिंग पर अपना प्यार दिखा रहे है.
वडोदरा के मूर्तिकार दक्षेश जांगिड़ ने बताया कि यह मामला अभी चर्चा में है, तब नंदी की क्या व्यथा होगी और शिवजी से मिलन के बाद उनकी का प्रतिक्रिया होगी इसको मैंने इस मूर्ति में दिखाने की कोशिश की है. उन्होंने बताया कि इस मूर्ति को वडोदरा में कहीं स्थापित किया जाए, इसको लेकर मेरी प्रशासन से अपील है.
गौरतलब है कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में कथित 'शिवलिंग' को लेकर नए-नए दावे किए जा रहे हैं. हालांकि, एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट के बाद अभी ये बात साबित होना बाकी है कि वह शिवलिंग हैं या फव्वारा. पिछले हफ्ते ज्ञानवापी-विश्ववनाथ मंदिर मामले में मंदिर पक्ष से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने वजूखाने में पाए पत्थर को तारकेश्वर महादेव होने का दावा किया था, तो अब BHU के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान के प्रोफेसर माधन जनार्दन रटाटे ने इसे नंदीकेश्वर शिवलिंग होने का दावा किया है.
साभार: आजतक