छाती ठोककर टिकट दिलाने वाले हार के बाद दुबके...

Update: 2024-11-25 06:23 GMT

रायपुर दक्षिण में हार: कांग्रेस कब करेगी समीक्षा, हार के लिए जि़म्मेदार कौन?

बस्तर में आदिवासी नेताओं का जीना हराम किया और अब राजनीति खत्म करने का खेल शुरू

कांग्रेस ने अब तक मुस्लिम छोड़ सभी समाज को दक्षिण से टिकट देकर आजमाया

पिछले 40 साल से अपने वार्ड से पार्षद को भी कांग्रेसी नहीं जीता पाए

सीना ठोककर रायपुर दक्षिण का टिकट तो ले आए और हारने के बाद दुम दबाकर भाग गए

भूपेश के सलाहकार बस्तर के आदिवासी नेताओं को ठिकाने लगाने के बाद रायपुर संभाग के नेताओं को लगाना था ठिकाने, हुआ मंसूबा फेल

रायपुर । रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद समीक्षा कब होगी, इस तरह के सैडक़ों सवाल उठने लगे है। इस बार जीत आसान होने के बाद भी कांग्रेस की टिकट गलत हाथों में देने से कांग्रेस की थोड़ी बहुत बची खुची प्रतिष्ठा वो भी खत्म हो गई। कांग्रेसी ही कांग्रेसी से सवाल करने लगे है आखिर रायपुर दक्षिण विधानसभा की हार के लिए जि़म्मेदार कौन। माना जा रहा है कि कांग्रेस में समीक्षा के अलावा कोई भी बड़ा उठापटक नहीं होने वाला है। ये मानकर चलने वाले अधिकांश कांग्रेसी घर बैठ गए है । वही कांग्रेस में जो नेता कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को विश्वास में लेकर दिल्ली में छाती ठोक कर वो रायपुर दक्षिण उपचुनाव का टिकट लेकर आए थे वो अब जि़म्मेदारी से कैसे बच सकते हैं । जो यह कह कर टिकेट लाए थे दक्षिण का यह भी चुनाव जिताकर बताएँगे । वहीं टिकट देनी वाली प्रियंका गांधी वायनाड में रिकार्ड मतों से चुनाव जीत कर इतिहास रच दिया वही छत्तीसगढ़ में एक मात्र विधानसभा उपचुनाव में छाती ठोंकने वाले दिग्गज नेता रिकार्ड मतों से हार के बाद कांग्रेस की पिक्चर से गायब हो गए ।

अब क्यों भाग रहे है,जि़म्मेदारी से

उप चुनाव की करारी शिकस्त के बाद अब जि़म्मेदारी से क्यों भाग रहे है, चुनाव के दरम्यान दिन में दो -दो बार कांग्रेस प्रेस कांफ्रेंस करती थी, अब परिणाम आने के दो दिन पश्चात भी कोई भी नेता जि़म्मेदारी लेने को तैयार नहीं । प्रेस के सामने आने को तैयार नहीं । प्रेस कांफ्रेंस की तो बात दूर सलाहकार और भूपेश सरकार के यूपी गए तो यूपी में चुनाव हराया । आसाम वे तो असम में चुनाव हराया था और छत्तीसगढ़ की तो बात ही छोड़ दो आम कांग्रेस जनों के मन में यह बात अच्छी तरह से घऱ कर गई है कि इस प्रभारी ने सबसे भारी बनकर कांग्रेस का सत्यानाश कर दिया। कांग्रेस में नये आने वाले नए नवेले नेता आगे हो गए औऱ पुराने नेताओ्ं की पूछ परख ही कम हो गई। 2004 और 2009 के नेताओं ने पुराने नेताओ्ं पर भारी दबाव बनाया जिसके कारण कांग्रेस अपने मूल सिद्धांतों और विजऩ से भटक गई है ।

अब सट्टा-जुआ बिल्डर कांग्रेस हो गई

यही कांग्रेस के सभी वरिष्ठ पुराने दो तीन पीढ़ी वाले कांग्रेसी नेतागण कह रहे हैं कांग्रेस में बिल्डर लॉबी सट्टा जुआ और भ्रष्ट अधिकारियों के रिश्तेदार पूर्ण तरीक़े से क़ाबिज़ हो गया है । इसलिए असली कांग्रेस मृतप्राय हो गई है और असली कांग्रेसियों को काम करने का अवसर भी नहीं दिया जा रहा है। इसलिए कांग्रेस के अपने पुराने परफॉर्मेंस को भी नहीं दोहरा पा रही है। संगठन के एक बड़े नेता अब उपचुनाव में हुए करारी हार की समीक्षा चुनाव के परिणाम के अनुरूप करें और उन पर कार्रवाई की माँग करते हुए आलाकमान के पास लगातार शिकायत करने की बात भी कहने से नहीं चूक रहे हैं ।

सभी समीकरण और सभी रणनीति फेल

हर कांग्रेसी इसी बात को बड़ी दबंगता से कह रहा है कि जहां तक प्रभारी महामंत्री सचिन पायलट का सवाल है तो उनके पास महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य होने के कारण व्यक्तिगत तौर पर छत्तीसगढ़ पर वे किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। विगत कई सालों से कांग्रेस सभी प्रकार की रणनीति और जाति समीकरण का खेल छत्तीसगढ़ में खेल चुकी है । सभी समीकरण और सभी रणनीति कांग्रेस की और कांग्रेस जनों की लगभग फ़ेल हो चुकी है। अधिकांश कांग्रेसी जो विरष्ठ और पुराने जमाने से दो पीढिय़ों तीन पीढिय़ों से कांग्रेस के लिए कार्य कर रहे थे, जो विचारक थे, जिनका विजऩ था और जिनके खून में कांग्रेस बहती थी, वैसे कांग्रेस के प्रतिष्ठित और योग्य व ख़ानदानी कांग्रेसी लगभग घर बैठ चुके हैं । नक़ली कांग्रेसी नेता असली कांग्रेस के नेता बनकर और बड़े -बड़े पदों में काबिज होकर पदाधिकारी बन और कांग्रेस की नाव में कील पर कील ठोंकते रहे औऱ लोकसभा, विधानसभा के बाद अब उपचुनाव में कांग्रेस की नाव को पूरी तरह डुबा दी है।

बड़ी जीत से भाजपाई गदगद बृजमोहन की सराहना

रायपुर दक्षिण में बड़ी जीत से भाजपा के रणनीतिकार गदगद हैं। पार्टी के रणनीतिकारों को जीत की उम्मीद तो थी, लेकिन 46 हजार से अधिक वोटों से जीत मिलेगी इसकी उम्मीद नहीं थी। जीत का सेहरा सीएम विष्णुदेव साय के साथ-साथ सांसद बृजमोहन अग्रवाल पर बांधा जा रहा है। उपचुनाव में कम मतदान से पार्टी के रणनीतिकार चितिंत थे। उन्हें जीत का अंतर कम होने का अनुमान था। वजह यह है कि कॉलोनी इलाकों में कम पोलिंग हुई थी, जो कि भाजपा का गढ़ माना जाता है। आम चुनाव की तुलना में 10 फीसदी कम वोटिंग हुई थी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक मतगणना के बाद सांसद बृजमोहन अग्रवाल की मौजूदगी में हुई एक समीक्षा बैठक में भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी की करीब 20 हजार के आसपास जीत मिलने का अनुमान लगाया गया था। राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि बड़ी जीत में महतारी वंदन योजना की भूमिका अहम रही है। दक्षिण में महिला वोटरों की संख्या पुरूषों की तुलना में ज्यादा है। महतारी वंदन की राशि सीधे उनके खाते में जाने से महिलाएं उत्साहित रही हैं। महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में भारी मतदान किया है। सीएम विष्णुदेव साय ने अपने सभी मंत्रियों को गली-मोहल्लों में प्रचार के लिए भेजा था। ब्राम्हण जैसे कई समाजों में नाराजगी की खबर थी जिसको उन्होंने सांसद बृजमोहन अग्रवाल के साथ मिलकर दूर किया। इन सबका नतीजा यह रहा कि सुनील सोनी एक बड़ी मार्जिंन से जीतने में कामयाब रहे।

आकाश अपने ही वार्ड में पिछड़े, मीनल के वार्ड में बीजेपी की एकतरफा बढ़त

रायपुर दक्षिण के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की है। भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी ने कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा को 46,167 वोटों से हराया है। जिस वार्ड में आकाश शर्मा रहते हैं, वहां भी उन्हें लीड नहीं मिल पाई। सुंदर लाल शर्मा वार्ड में आकाश शर्मा का घर है। यहां बीजेपी के पार्षद मृत्युंजय दुबे हैं। वहीं मेयर एजाज ढेबर अपने वार्ड से कांग्रेस को बढ़त दिलाने में फिर भी कामयाब रहे। हालांकि यह बढ़त भी महज 242 वोट की ही थी। इसके अलावा निगम में नेता प्रतिपक्ष बीजेपी की मीनल चौबे के वार्ड में बीजेपी के सुनील सोनी को एकतरफा लीड मिली। रायपुर नगर निगम नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे के वार्ड चंगोरा भाठा क्षेत्र से भी भाजपा बड़ी बढ़त मिली है। यहां के 14 के 14 बूथ पर भाजपा की जीत हुई है। सुनील सोनी को 3104 वोटों से लीड मिली है। वहीं ब्राह्मणपारा वार्ड, जहां सबसे ज्यादा ब्राह्मण समाज के वोटरों की संख्या अधिक है। वहां से भी सुनील सोनी को 3017 वोट से आकाश शर्मा से आगे रहे।

कांग्रेस में हाहाकार


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