मनी लॉन्ड्रिंग केस में तत्काल नहीं होगी गिरफ्तारी : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2024-05-18 01:22 GMT

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया. ये फैसला मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में गिरफ्तारी और जमानत से जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में साफ कर दिया है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग का कोई आरोपी अदालत के समन पर पेश होता है, तो उसे गिरफ्तार करने के लिए ईडी को स्पेशल कोर्ट की मंजूरी लेनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस ऐतिहासिक फैसले में प्रिवेन्शनल ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 19 के तहत ईडी को मिले गिरफ्तारी के अधिकार को थोड़ा कम कर दिया है.

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने ये फैसला दिया है. बेंच ने कहा, कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद ईडी और उसके अफसर धारा 19 के तहत ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकते, जिसे एजेंसी ने आरोपी बनाया था. कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में अगर ईडी आरोपी को हिरासत में लेना चाहती है तो उसे स्पेशल कोर्ट से मंजूरी लेनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि PMLA की धारा 19 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर ईडी किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती, जो स्पेशल कोर्ट के समन पर पेश हुआ हो. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद जांच के दौरान अगर उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में उसे हिरासत में लेने के लिए स्पेशल कोर्ट की मंजूरी लेनी होगी. हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ किया कि अगर शिकायत में किसी व्यक्ति को आरोपी नहीं बनाया गया है तो धारा 19 के तहत उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.

- क्या है धारा 19?: मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 19 ईडी को ये अधिकार देती है कि अगर सबूतों के आधार पर एजेंसी को लगता है कि कोई व्यक्ति मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी है तो वो उसे गिरफ्तार कर सकती है. ऐसी गिरफ्तारी के लिए एजेंसी को बस आरोपी को कारण बताना होता है.


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