डेंगू से आर पार की होगी लड़ाई, निदेशक ने दी ये बड़ी जानकारी

इस तरह की जाएगी रिसर्च।

Update: 2022-02-21 03:28 GMT

नई दिल्ली. पिछले दो तीन साल से कोरोना (Corona) को लेकर जो बदहवासी छाई हुई है वह अब तक कम नहीं हुई है. वैक्सीन भी शत प्रतिशत कारगर नहीं है. इसलिए पूरी दुनिया अब भी इसका इलाज ढूंढने में लगी है. दरअसल, कोरोना ने हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में कमिओं की नंगी तस्वीर को उजागर कर दिया है. यही कारण है कि दुनिया भर के सरकारें स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को प्राथमिकता में लेने लगी है. हम सब जानते हैं कि देश में डेंगू का कितना प्रकोप रहता है. हर साल हजारों लोगों को डेंगू (Dengue ) की बीमारी होती है. इस बीमारी का भी कोई इलाज नहीं है. अब भारत सरकार डेंगू की बीमारी से निपटने के लिए आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गई है. इसके लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग के टीएचएसटीआई (Transitional Health Science and Technology Institute -THSTI) ने डीएनडीआई (Drugs for Neglected Diseases initiative-(DNDi) India Foundation के साथ समझौता किया है. इस समझौते के तहत अगले पांच साल के अंदर डेंगू की प्रभावशाली दवा को विकसित किया जाएगा.

इस योजना के तहत सरकारी संस्था और गैर सरकारी संस्था मिलकर रिसर्च करेंगे और डेंगू के लिए प्रभावकारी, सुरक्षित और सस्ती दवा विकसित करेंगे. इस योजना से परिचित अधिकारी ने यह जानकारी दी है. आंकड़ों के मुताबिक करीब सौ देशों में 39 करोड़ डेंगू संक्रमण के मामले हर साल आते हैं. इनमें से 70 प्रतिशत मामले एशिया में आते हैं. 2021 में भारत में 164,103 डेंगू के मामले आए थे जबकि 2019 में 205, 243 नए मामले आए थे.
अब तक डेंगू का इलाज नहीं
टीएचएसटीआई (THSTI) के कार्यकारी निदेशक प्रमोद कुमार गर्ग ने बताया, डेंगू के लिए अब तक कोई एंटीवायरल दवाई नहीं है. इसमें वैक्सीनन का इस्तेमाल भी सीमित है. हालांकि डेंगू के इलाज के लिए रिसर्च हो रही है लेकिन अब तक हमने इस दिशा में कोई कारगर परिणाम हासिल नहीं कर सके. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस दिशा में अपने प्रयासों को बढ़ा दें ताकि लाखों लोगों को इसके दुष्प्रभाव से बचाया जा सके. उन्होंने बताया कि डीएनडीआई इंडिया फाउंडेशन के साथ साझेदारी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. इससे हम प्रभावकारी दवा विकसित करने में कामयाब होंगे.
इस तरह की जाएगी रिसर्च
इस साझेदारी के तहत डेंगू के उपचार के लिए प्री क्लिनिकल अध्ययन किया जाएगा. इसमें पहले से तैयार दवाइयों का उपयोग कर यह परखा जाएगा कि इनका प्रभाव डेंगू पर कितना होता है. इसके साथ ही किफायती और सुलभ उपचार के नए तरीकों को भी खोजा जाएगा. क्लिनिकल ट्रायल में दो दवाइयों के कंबिनेशन को भी परखा जाएगा. बीमारी के विभिन्न चरणों में इन दवाइयों का परीक्षण किया जाएगा.
डेंगू में ये होते हैं लक्षण
डेंगू विश्व में सार्वजनिक स्वास्थ्य के 10 सबसे बड़े जोखिमों से एक है. भारत में मॉनसून के समय यह बीमारी तेजी से फैल जाती है. इसमें बुखार, बेचैनी, उल्टी और शरीर में बेतहाशा दर्द होने लगता है. अगर बीमारी गंभीर होने लगती है तो मरीज में आंतरिक ब्लीडिंग शुरू हो जाता है और कई अंग काम करने बंद कर देते हैं. अंत में मरीज की मौत भी हो जाती है.
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