लड़की के जिस्म पर किए गए थे अनगिनत वार, बॉयफ्रेंड निकला कातिल

खुलासा

Update: 2022-02-10 01:17 GMT

मुंबई। महाराष्ट्र के पालघर में एक लड़की अचानक गुम हो जाती है. वो लड़की एक कॉल सेंटर में काम करती थी. पहले तो पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज करने में आना-कानी की. लेकिन बाद में केस दर्ज कर लड़की को तलाशना शुरु कर दिया. और आखिरकार 10 दिन की कड़ी मेहनत के बाद लड़की बरामद हो गई. मगर जिंदा नहीं मुर्दा. फिर पुलिस ने शक के आधार पर एक शख्स को हिरासत में लिया. उससे लंबी पूछताछ की और फिर उसे छोड़ दिया. इसके बाद एक लेटर सामने आया और लड़की के कत्ल की मिस्ट्री भी सुलझ गई. इस पूरे मामले की तफ्तीश और खुलासा हैरान करने वाला है.

मनोर एक ऐसा इलाका, जो पालघर-अहमदाबाद हाई-वे पर मौजूद है. बात इसी 3 फरवरी की है. शाम के शाम 5.30 बजे थे. मुंबई के क़रीब ये हाई-वे हमेशा की तरह रफ़्तार पर सवार था. लेकिन ये इत्तेफ़ाक ही था कि उस रोज़ शाम को एक शख़्स किसी काम से इस हाई-वे के कऱीब से गुज़रते वक्त एक नाले के पास रुका और तेज़ बदबू ने उसे आस-पास के इलाके की पड़ताल करने के लिए मजबूर कर दिया. इस कोशिश में जैसे ही उस शख्स की नज़र नाले के पानी पर गई, उसके रौंगटे खड़े हो गए. नाले में दो बड़े पाइप के बीचों-बीच एक इंसानी लाश फंसी थी और जो बुरी तरह सड़ चुकी थी.

इसके बाद ये ख़बर पालघर पुलिस तक पहुंची और अगले कुछ मिनटों में पुलिस मौके पर पहुंची और लाश बरामद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. पुलिस ने देखा कि लाश पर चाकुओं से वार किए जाने के निशान थे, चेहरा पत्थर जैसी किसी भारी चीज़ से कुचला हुआ था और चेहरे समेत जिस्म का एक बड़ा हिस्सा मछली और दूसरे जलीय जीव कुतर चुके थे. कुल मिलाकर, लाश की हालत देख कर सिर्फ ये पता चल पाया कि लाश एक नौजवान लड़की की थी. मगर मरनेवाली लड़की की पहचान कर पाना एक नामुमकिन सी बात लग रही थी. पालघर पुलिस ने लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाने के साथ-साथ ये पता करना शुरू कर दिया कि आख़िर आस-पास के इलाक़े से इस उम्र की कोई लड़की ग़ायब तो नहीं. लेकिन पालघर से ऐसी कोई लड़की हाल के दिनों में ग़ायब नहीं हुई थी और ना ही ज़िले के किसी थाने में ऐसी कोई मिसिंग रिपोर्ट ही दर्ज थी.

अब पुलिस ने पालघर से सटे मुंबई के अलग-अलग थानों में इस लाश का हवाला देते हुए मिसिंग रिपोर्ट का पता करने की शुरुआत की और इस कोशिश में उसे कामयाबी मिली. पता चला कि अब से कोई दस रोज़ पहले मुंबई के सांताक्रूज़ थाने में एक लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है. 28 साल की उस लड़की का नाम कैरोल उर्फ़ पिंकी मिस्किटा था, जो 24 जनवरी की रात को अपने घर से गायब हो गई थी. वो एक कॉल सेंटर में काम करती थी. स्कूटी लेकर घर से निकलते वक़्त कैरोल ने अपनी मां से कहा था कि वो डॉक्टर को अपनी कुछ मेडिकल रिपोर्ट्स दिखाने जारही है, लेकिन फिर इसके बाद वो वापस नहीं लौटी. हालांकि उसी रात उसने अपनी मां को फ़ोन कर ये बताया था कि उसे लौटने में थोड़ी देर हो जाएगी. इसके बाद सुबह तक जब लड़की अपने घर नहीं लौटी तो कैरोल की मां कैथरीन ने सांताक्रूज़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंची, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सांताक्रूज़ की पुलिस उस दिन अपने थाने में निर्भया हेल्पलाइन के उद्घाटन में इतनी बिज़ी थी कि उसने एक दूसरी निर्भया यानी कैरोल की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करने तक की ज़रूरत नहीं समझी.

कैरोल की मां अगले दिन फिर थाने पहुंची और किसी तरह मिसिंग रिपोर्ट दर्ज करवाने में कामयाब रही, लेकिन पुलिस का रवैया कमोबेश वैसा ही रहा, जैसा हेल्पलाइन की शुरुआत होने से पहले था. बहरहाल, क़रीब दस रोज़ बाद जब पालघर में एक लड़की की लाश मिली, तो सांताक्रूज़ की पुलिस कैरोल की मां को लेकर उस लावारिस लाश की पहचान के लिए पहुंची. मगर लाश की हालत ऐसी थी कि एक मां के लिए भी बेटी की लाश को तब तक पहचानना मुमकिन नहीं हो सका, जब तक पुलिस ने लाश की कमर पर बने दिल और तितलियों के टैटू उसकी मां को नहीं दिखाए.

तब खुलासा हुआ कि वो लाश कैरोल की ही थी, जिसका पिछले दस दिनों से कोई अता-पता नहीं था और उसका मोबाइल फ़ोन भी कबका स्विच्ड ऑफ़ हो चुका था. अब इस ब्लाइंड मर्डर केस में पुलिस को एक लीड मिल चुकी थी. पालघर पुलिस ने कैरोल की मां से पूछताछ करने के साथ-साथ अपने तौर पर मामले की छानबीन शुरू की. कैरोल की मां ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी का पिछले 5 सालों से मुंबई के ही 27 साल के एक लड़के ज़िको मिस्किटा से अफ़ेयर चल रहा था और उन्हें पूरा यकीन है कि उनके बेटे का क़त्ल ज़िको ने किया है, क्योंकि दोनों में अफ़ेयर होने के बावजूद उनका रिश्ता इन दिनों बहुत अच्छा नहीं चल रहा था.

लेकिन पालघर पुलिस को पता चला कि सांताक्रूज़ पुलिस तो इस सिलसिले में ज़िको से कब की पूछताछ कर उसे क्लिन चिट दे चुकी है. उसे आज़ाद कर चुकी है. ऐसे में पालघर पुलिस ने ज़िको पर हाथ डालने से पहले अपने तौर पर थोड़ी और तफ्तीश करने का फैसला किया. पुलिस ने हाई-वे पर मौक़ा-ए-वारदात के आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की. फिर कैरोल के घरवालों से थोड़ी और पूछताछ करने का फ़ैसला किया.

इस कोशिश में पुलिस को जो सीसीटीवी फुटेज हाथ लगी, इत्तेफ़ाक से उसमें कैरोल ज़िको के साथ मौका-ए-वारदात की तरफ जाती हुई दिखाई दे रही थी. साथ ही ज़िको का एक दोस्त भी अपनी स्कूटी पर दोनों को फॉलो करता हुआ नज़र आया. अब पुलिस की तफ़्तीश ज़िको पर ही टिक गई. लेकिन उससे पूछताछ करने से पहले पुलिस थोड़ी और तस्दीक कर लेना चाहती थी. इसी बीच कैरोल के घरवालों ने ज़िको के नाम अपनी बेटी के हाथों लिखा गया एक ख़त पुलिस को सौंपा. और उस ख़त ने तक़रीबन पूरी कहानी साफ कर दी. कैरोल के हाथों ज़िको के नाम लिखा ये ख़त पुलिस के लिए एक क्लू और एक एविडेंस दोनों साबित हुआ. कैरोल और ज़िको के रिश्ते में कुछ ठीक नहीं चल रहा था. पांच साल के लंबे अफ़ेयर के बाद अब ज़िको कैरोल से पीछा छुड़ाना चाहता था. वो किसी और लड़की से शादी करना चहता था, लेकिन केरौल ज़िको के अलावा किसी के साथ रहने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी और ये ख़त उसका सबूत था.

इस ख़त और सीसीटीवी फुटेज के बाद इतना ज़रूर साफ हो चुका था कि इस क़त्ल के पीछे ज़िको का ही हाथ है. अब पालघर पुलिस ने ज़िको को हिरासत में लिया और उससे पूछताछ शुरू की. ज़िको ने थोड़ी हिला-हवाली भी की. लेकिन पुलिस के सामने वो टूट गया और उसने जो कहानी सुनाई वो रौंगटे खड़े करनेवाली थी. उसने पुलिस को बताया कि वो केरौल से पीछा छुड़ाना चाहता था. इसलिए वो एक भयानक फ़ैसला कर चुका था. उसी के चलते ज़िको ने बातचीत के बहाने से कैरोल को अपने पास बुलाया और फिर उसे स्कूटी पर लेकर पालघर के सुनसान रास्ते पर ले गया. ज़िको के इरादे ठीक नहीं थे. वो कैरोल का क़त्ल कर उससे हमेशा-हमेशा के लिए जान छुड़ाना चाहता था. इसके लिए वो ना सिर्फ़ अपने साथ एक चाकू लेकर आया था, बल्कि उसने क़त्ल में मदद के लिए अपने दोस्त देवेंद्र को भी अपने साथ बुला लिया था. 24 और 25 जनवरी की रात को दोनों देर रात पालघर हाई-वे पर रुके और बातचीत शुरू की. बातचीत लड़ाई झगड़े में तब्दील हो गई और तब ज़िको ने कैरोल का गला घोंटना शुरू कर दिया.

इस काम में उसके दोस्त देवेंद्र ने ना सिर्फ उसका साथ दिया, बल्कि दोनों ने गला घोंटने के बाद कैरोल की मौत कन्फर्म करने के लिए उस पर ताबड़तोड़ चाकू बरसाए. ज़िको के पिता कैटरिंग का काम करते हैं और वहीं से ज़िको चाकू उठा लाया था. कैरोल के कत्ल के दौरान एक वक़्त ऐसा भी आया, जब उसकी जान नहीं जा रही थी, तब देवेंद्र ने भी कैरोल पर चाकू मारे और इस तरह मारे कि चाकू का हैंडल टूट गया. जिसे क़ातिलों ने वहीं जंगल में फेंक दिया और चाकू लाश में ही छोड़ दिया. इसके बाद दोनों ने उसकी पहचान छुपाने के लिए चेहरे को पत्थरों से कुचल दिया और लाश को हाई-वे के बगल से बहते नाले में फेंक कर फ़रार हो गए. इसके बाद सांताक्रूज़ पुलिस की लापरवाही से ये लाश पूरे दस दिनों वहीं नाले में पड़ी-पड़ी सड़ती रही. लेकिन आख़िरकार इस लाश ने ही क़ातिल का पता दे दिया और कत्ल के साथ कातिल की सच्चाई भी सामने आ गई.


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