ड्रग माफिया के कारण मचा हड़कंप, वजह भी जानें
भारत समेत कई देशों की एजेंसियों के लिए चिंता की बात हो सकती है.
नई दिल्ली: कुछ साल पहले, जब दुनिया के किसी भी कोने में ड्रग्स पकड़ी जाती थी, तो सबसे पहले नाम आता था अफगानी ड्रग लॉर्ड हाजी बशीर नूरज़ई का. ये वो शख्स है जिसे मिडिल ईस्ट का 'पाब्लो एस्कोबार' कहा जाता है. बशीर काफी समय से अमेरिका की जेल में बंद था. वहां की एक अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी. लेकिन हाल ही में उसके रिहा हो जाने की खबर आई है.
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक बताया जा रहा है कि अमेरिका ने गुपचुप तरीके से कुख्यात ड्रग माफिया हाजी बशीर नूरज़ई को अफगानिस्तान की जेल में बंद एक अमेरिकी नागरिक की रिहाई के बदले छोड़ दिया है. उसकी रिहाई भारत समेत कई देशों की एजेंसियों के लिए चिंता की बात हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि उसके आजाद हो जाने से ड्रग की तस्करी और कारोबार में तेजी आ सकती है.
बशीर नूरजई एक अफगानी ड्रग लॉर्ड है. वह तालिबान आंदोलन का समर्थक था. बाद में उसने अमेरिकी सरकार के लिए एक अंडरकवर एजेंट के रूप में काम शुरू कर दिया था. यही वजह थी कि अमेरिका का मोस्ट वॉन्टेड ड्रग तस्कर होने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता था. दरअसल, अमेरिकी हैंडलर के साथ वह इसी शर्त पर काम कर रहा था और तभी वो डीब्रीफिंग के लिए न्यूयॉर्क शहर आने के लिए तैयार हुआ था.
बशीर नूरजई न्यूयॉर्क सिटी आ चुका था. मगर उसके वहां पंहुचने के दस दिन बाद ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. इसी दौरान अमेरिकी फौज की वापसी के बाद तालिबान एक फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया. तब तालिबान ने अमेरिकी सरकार से एक अमेरिकी इंजीनियर मार्क फ्रेरिच के बदले में नूरजई को रिहा करने की मांग की. मार्क फ्रेरिच को जनवरी 2020 में अगवा कर लिया गया था.
बशीर नूरज़ई ने 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाली सोवियत सेनाओं के खिलाफ जंग लड़ी. लेकिन जब मुल्ला उमर अंडरग्राउंड हो गया तो बशीर ने कंधार का चार्ज छोड़ दिया. उसने तालिबान शासन को विस्फोटक, हथियार और मिलिशिया लड़ाके भी उपलब्ध कराए थे.
9/11 के हमले के वक्त बशीर नूरजई क्वेटा में था. मगर हमले की खबर मिलते ही वो फौरन अफगानिस्तान लौट आया. नवंबर 2001 में वह अफगान-पाकिस्तान सीमा के पास स्पिनबोल्डक में अमेरिकी सैन्य अधिकारी बताए गए कुछ लोगों से मिला. असल में अमेरिकी स्पेशल फोर्स और खुफिया अधिकारियों की छोटी टीमें उस समय अफगानिस्तान में मौजूद थीं, जो कबायली नेताओं का सपोर्ट मांग रही थीं.
वो अमेरिकी लोग नूरजई को कंधार ले गए, जहां उसे हिरासत में ले लिया गया. फिर उससे तालिबान अधिकारियों और अभियानों के बारे में अगले छह दिनों तक पूछताछ की गई. इसके बाद बशीर नूरजई उन लोगों के साथ काम करने के लिए तैयार हुआ और इसी शर्त पर वो छूट भी गया. जनवरी 2002 के अंत में उसने लगभग 400 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों सहित 15 ट्रक हथियार अमेरिकियों को सौंपे, ये वो खेप थी, जिसे तालिबान ने अपने कबीले के क्षेत्र में छिपा दिया था.
1 जून 2004 को ड्रग माफिया बशीर नूरज़ई के खिलाफ विदेशी नारकोटिक्स किंगपिन एक्ट लगा दिया गया. अप्रैल 2005 में, न्यूयॉर्क शहर में अमेरिकी अधिकारियों ने नूरजई को गिरफ्तार कर लिया था. उस पर संयुक्त राज्य अमेरिका में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की हेरोइन की तस्करी करने का प्रयास करने का आरोप लगा था. उसका नाम नशीली दवाओं के मोस्ट वॉन्टेड तस्करों की टॉप टेन लिस्ट में शामिल है.
नूरजई की गिरफ्तारी को अफगानिस्तान के पूर्व तालिबान शासन और अवैध नशीले पदार्थों के व्यापार के बीच कथित संबंधों से जोड़कर देखा जाता है. 2008 के मुकदमे में नूरजई का प्रतिनिधित्व न्यूयॉर्क के हाई-प्रोफाइल क्रिमीनल लॉयर इवान फिशर ने किया था. उस केस में अमेरिकी विदेश नीति के बारे में काफी सवाल उठाए गए थे. हालांकि 2008 में नूरजई को संयुक्त राज्य अमेरिका में $50 मिलियन मूल्य की हेरोइन की तस्करी का दोषी ठहराया गया था.
30 अप्रैल 2009 को बशीर नूरज़ई न्यायाधीश डेनी चिन के समक्ष पेश हुआ था, जिन्होंने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. लेकिन इसके बाद भी वहां नशे का कारोबार नहीं थमा. बताया जाता है कि नूरजई के जेल जाने के बाद उसका ड्रग कारोबार जुमा खान ने संभाल लिया था. लेकिन इसी वजह से खान को 2010 में गिरफ्तार कर लिया गया था.
तालिबान के हवाले से अफगानी मीडिया में रिपोर्ट आईं थी कि 16 जुलाई 2019 को संयुक्त अरब अमीरात में बशीर नूरजई को रिहा कर दिया गया था, लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि नूरजई को जेल से रिहा नहीं किया गया था.
लेकिन अब उसकी रिहाई की बड़ी ख़बर सामने आई है. तालिबान के एक प्रवक्ता के अनुसार, हाजी बशीर नूरज़ई को अमेरिकी नागरिक मार्क फ्रेरिच के बदले जेल से रिहा किया गया है और 19 सितंबर 2022 को नूरजई अफगानिस्तान पहुंच गया है. बशीर नूरजई को तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का करीबी माना जाता है.