नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी दौरे के दौरान बर्लिन में भारतीय समुदाय को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस दौरान नाम लिए बिना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को कोट किया और भ्रष्टाचार को लेकर इशारों-इशारों में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा था कि अब किसी प्रधानमंत्री को कहना नहीं पड़ेगा मैं दिल्ली से एक रुपए भेजता हूं, पंद्रह पैसे पहुंचते हैं. वो कौन सा पंजा था जो 85 पैसा घिस लेता था.
पीएम मोदी के इसी बयान पर सियासी घमासान मचा हुआ है. प्रधानमंत्री रहते राजीव गांधी कहते थे कि एक रुपये दिल्ली से भेजो तो गांव तक सिर्फ पंद्रह पैसे पहुंचते हैं. यानी 85 पैसे भ्रष्टाचार में छू मंतर हो जाते थे. अब उसी करप्शन को छू मंतर करके खत्म करने की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बर्लिन में कही. साल 1985 की बात है. तब की सरकार का नेतृत्व कर रहे थे राजीव गांधी. भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी ओडिशा के सूखा प्रभावित कालाहांडी जिले के दौरे पर थे.
राजीव गांधी ने तब कहा था कि सरकार जब दिल्ली से एक रूपया भेजती है तो लोगों तक 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं. यहां तत्कालीन पीएम राजीव गांधी योजनाओं के लिए भेजे गए पैसे को लेकर भ्रष्टाचार की बात कर रहे थे. राजीव गांधी ने ये भी कहा था कि एक बहुत बड़ी कमजोरी है, जिससे हम अभी भी पार नहीं पा पाए हैं. उन्होंने कहा था कि बहुत शिकायत हमें मिलती हैं कि हमारे कार्यक्रम पूरी तरीके से देहात तक, जमीन तक, लोगों के घरों तक नहीं पहुंच पाते हैं. हमें सोचना है कि ये क्यों होता है.
राजीव गांधी के इसी 15 पैसे वाले बयान का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने बर्लिन में कहा कि सरकारी मदद हो, स्कॉलरशिप हो, किसानों की मदद हो, सबकुछ अब सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर होते हैं. हथेली पर उंगलियां घुमाते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि वो कौन सा पंजा था जो 85 पैसे घिस लेता था. उन्होंने डीबीटी का जिक्र करते हुए अपनी सरकार में इसी भ्रष्टाचार को खत्म करने की बात बर्लिन में कही.
गौरतलब है कि भारत की छवि लंबे समय तक विदेश में रहने वाले भारतीयों के बीच भी सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार वाले देश के रूप में रही है. इसी को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि देश वही है जो आप छोड़कर आए थे. लेकिन नतीजे बहुत बेहतर मिल रहे हैं. पीएम मोदी ने डीबीटी के जरिए सीधे लाभार्थियों के खाते में योजनाओं के लाभ पहुंचाने से संबंधित आंकड़े भी गिनाए और कहा कि अब जितना पैसा हम भेजते हैं, लाभार्थी के खाते में उतना ही पहुंचता है.
आंकड़ों के मुताबिक 2015 से 2021 के बीच करीब 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपये 56 मंत्रालयों की 422 योजनाओं के तहत लाभार्थियों के खाते में सीधे ट्रांसफर किए गए. अकेले 2021 में ही 44572 करोड़ रुपये के करप्शन को रोका गया. सरकारी दावा ये भी है कि 2015 से 2021 के बीच गरीबों को राशन देने की योजना में 3 करोड़ 99 लाख फर्जी राशनकार्ड धारकों को हटाकर एक लाख दो हजार करोड़ रुपये की रकम भ्रष्टाचारियों से बचाई गई. एलपीजी सिलेंडर की योजना में 4 करोड़ 11 लाख फर्जी लाभार्थियों को हटाकर 72,910 करोड़, मनरेगा में नकली लाभार्थियों को हटाकर 33,475 करोड़ और सब्सिडी पर खाद देने की योजना में फर्जीवाड़ा रोककर 10 हजार करोड़ रुपये भ्रष्टाचारियों के खाते में जाने से बचाए गए.
सरकार के मुताबिक ये सब संभव हुआ है जैम ट्रिनिटी से. यानी वो त्रिकोण जिसमें योजनाओं का लाभ पाने वाले गरीबों का जनधन खाता खुला. उस जनधन खाते को आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से लिंक किया गया जिससे पैसा हजम करने वाले फर्जी कार्डधारक किनारे हो जाएं. इन कदमों की वजह से सरकारी योजनाओं का लाभ, सब्सिडी का पैसा सीधे असली लाभार्थी के खाते में ही पहुंच पा रहा है.