देश के इन राज्यों में कोरोना वैक्सीन की कमी, यहां आधे टीकाकरण केंद्र बंद
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि हमारे टीकाकरण केंद्रों पर वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक नहीं है.
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा है कि हमारे टीकाकरण केंद्रों पर वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक नहीं है. टीका लगवाने आए लोगों को वापस लौटना पड़ रहा है. हमारे ज्यादातर केंद्रों पर वैक्सीन नहीं होने के कारण उन्हें बंद करना पड़ा है. हमने केंद्र से और वैक्सीन पहुंचाने की मांग की है. मुंबई के मेयर किशोरी पेडनेकर ने कहा कि मंगलवार को हमारे पास 1,76,000 का स्टॉक था, लेकिन हमें और ज्यादा स्टॉक जरूरत होगी.
वाराणसी: वैक्सीन की कमी के चलते वाराणसी में भी 66 सरकारी टीकाकरण केंद्रों में से बुधवार को सिर्फ 25 पर ही वैक्सीनेशन हुआ. जनपदीय वैक्सीन भण्डार केंद्र पर भी ताला लटका दिखा. वैक्सीन की कमी कब तक पूरी होगी, यह स्वास्थ्य विभाग को भी नहीं मालूम है. शहर के चौकाघाट स्थित जनपद वैक्सीन भंडार केंद्र पर भी ताला लटक गया तो वहीं पास के चौकाघाट राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल और ढेलवरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर भी वैक्सीनेशन का काम बंद हो गया.
आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश ने भी केंद्र सरकार को पत्र लिखकर एक करोड़ डोज वैक्सीन की मांग की है. प्रदेश सरकार का कहना है कि उसके पास महज 3.7 लाख डोज बचे हैं जबकि राज्य में हर दिन 1.3 लाख डोज लगाए जा रहे हैं. जल्दी ही राज्य में वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो जाएगा. कुछ जिलों में वैक्सीन खत्म हो चुकी है. राज्य के मुख्य सचिव आदित्यनाथ दास ने केंद्र को पत्र लिखकर 1 करोड़ डोज तुरंत मुहैया कराने की मांग की है. आंध्र प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 2,331 केस आए और 18 मौतें हुईं. ओडिशा ने भी केंद्र से तुरंत 25 लाख डोज कोविशील्ड वैक्सीन उपलब्ध कराने की मांग की है.
झारखंड: झारखंड में भी वैक्सीन की कमी हो गई है. राज्य ने वैक्सीनेशन को रफ्तार देने के लिए 4 से 14 अप्रैल के बीच विशेष अभियान शुरू किया था, लेकिन वैक्सीन की कमी से अभियान पर ब्रेक लग गया. मंगलवार को कई केंद्रों पर टीकाकरण रोक दिया गया. राज्य में दो दिनों में वैक्सीन का स्टॉक खत्म हो जाएगा. बताया जा रहा है कि अगर तीन दिन के भीतर वैक्सीन की खेप नहीं पहुंची तो झारखंड में टीकाकरण अभियान प्रभावित हो जाएगा.
केंद्र ने बताई राज्यों की विफलता
वैक्सीन का ये मामला सियासी रंग भी ले रहा है. कोरोना वैक्सीन की राज्यों की मांग पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार को नाराजगी जताई. उन्होंने बयान जारी कर कहा कि ये राज्यों की खुद के स्तर पर की गई विफलता को छिपाने की कोशिश है. साथ ही सवाल किया कि क्या उन्होंने कोरोना के पहले चरण के सभी लाभार्थियों तक वैक्सीन पहुंचा दी है.
वहीं राज्यों की 18 वर्ष से ऊपर सभी को कोरोना वैक्सीन देने की मांग पर हर्षवर्धन ने सवाल किया कि जो राज्य ऐसी मांग कर रहे हैं, उनके बारे में क्या ये मान लिया जाना चाहिए कि उन्होंने अपने राज्य में हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स के बीच अच्छी खासी संख्या में कोरोना वैक्सीनेशन का काम कर लिया है. लेकिन आंकड़े असल में इससे अलग हैं.
हर्षवर्धन ने कहा कि कुछ राजनीतिक नेताओं और राज्यों की ओर से की जा रही इस तरह की मांग उनके खराब वैक्सीनेशन प्रयासों को दिखाती है. विशेषकर महाराष्ट्र में नेताओं के वैक्सीन की कमी को लेकर आया बयान गैर-जिम्मेदार, लोगों के बीच भय बढ़ाने वाला और राज्य सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने की कोशिश है.
राज्यों पर पलटवार करते हुए हर्षवर्धन ने ये कहा कि महाराष्ट्र और दिल्ली में सिर्फ 41 फीसदी हेल्थ वर्कर्स को कोरोना की दूसरी डोज मिली है. जबकि देश के 10 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश 90 फीसदी से ज्यादा का टारगेट पूरा कर चुके हैं.
वहीं, उन्होंने फिर दोहराया कि भारत में चलाया जा रहा कोरोना वैक्सीनेशन दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान है. इसका मुख्य लक्ष्य कोरोना के मरने वालों की संख्या में कमी लाना है. हम ये भी जानते हैं वैक्सीन की आपूर्ति सीमिति है, इसलिए वैक्सीनेशन के लिए जो प्रक्रियाएं तय हुई हैं वह राज्यों के साथ सलाह-मशविरा करके ही की गयीं हैं.