BIG BREAKING: 'प्यार और जंग में कोई नियम नहीं होता'...हाईकोर्ट ने की यह टिप्पणी, जानिए पूरा मामला

आरोपी बरी.

Update: 2024-08-13 09:42 GMT
चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने बलात्कार के आरोपी को यह कहते हुए बरी कर दिया कि प्यार और जंग में कोई नियम नहीं होता। मामले में बरी हुआ शख्स 2014 में तब रेप का आरोपी बनाया गया था जब शिकायतकर्ता ने एक बच्चे को जन्म दिया था। इसके बाद उसने सजा के खिलाफ 2017 में अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उनकी अपील के लंबित रहने के दौरान, अदालत ने पहले बच्चे के भविष्य को लेकर चिंता जताई थी। इसके बाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया था। इसी दौरान शिकायतकर्ता ने दूसरे बच्चे को जन्म दिया। जस्टिस एन शेषशायी ने फैसला सुनाते कहा कि यह अपने आप में बेहद अनूठा है। सिंगल बेंच जज ने कहा कि मामले में मध्यस्थता का नतीजा यह हुआ कि उन्हें दूसरा बच्चा हुआ।
जब रेप के दोषी और शिकायतकर्ता को दूसरा बच्चा हुआ तो कोर्ट ने राज्य से इसकी पुष्टि करने के लिए कहा था। इसके बाद राज्य ने इसकी पुष्टि की और दूसरे बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट भी रिकॉर्ड में लाया गया। कोर्ट ने कहा कि न तो अभियोजन पक्ष और न ही दोषसिद्धि ने दोषी और शिकायतकर्ता को अलग किया। आखिर दोनों वयस्क हैं और देश का संविधान कोई नैतिक बयान नहीं देता है। यह नागरिकों को जीने के जिए जिंदगी देता है। ऐसे में अगर दोषी और शिकायतकर्ता अपनी मर्जी से जीने का रास्ता चुनते हैं तो कानून के लिए इससे बढ़कर कुछ नहीं हो सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया है कि वास्तव में कोई अपराध था।
कोर्ट ने ऑब्जर्व किया कि मामले में न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग हुआ। हालांकि कोर्ट ने कहा कि लेकिन यह अतीत की कहानी है और यह अदालत इस मुद्दे पर फिर से विचार नहीं करना चाहती। अदालत ने यह भी कहा कि हालांकि शिकायतकर्ता ने खुलासा किया था कि उसका आरोपी के साथ लंबे समय तक शारीरिक संबंध रहा। लेकिन उसने कोई आपत्ति नहीं जताई थी। उसने अपीलकर्ता के खिलाफ तब तक कोई आरोप नहीं लगाया जब तक कि उसे बच्चा नहीं हो गया। शिकायतकर्ता वयस्क थी और जानती थी वह क्या कर रही थी। हालांकि, ट्रायल कोर्ट ने जिरह के इस हिस्से की अनदेखी की।
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