कम्प्यूटर शॉप चलाने वाले युवक ने निर्वाचन आयोग की वेबसाइट की हैक, वजह जानकर रह जाएंगे सन्न
इतनी रकम कहां से आई इस सवाल के जवाब में विपुल ने पुलिस को बताया कि मतदाता पहचान पत्र बनाकर.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कम्प्यूटर शॉप चलाने वाले एक युवक ने निर्वाचन आयोग की वेबसाइट हैक कर दस हजार से ज्यादा फर्जी मतदाता पहचान पत्र बना डाले. पकड़े जाने पर पता चला कि आरोपी विपुल सैनी ने किसी राजनीतिक मकसद से नहीं बल्कि अंधाधुंध कमाई के लिए ये गोरखधंधा किया था. पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद उसके बैंक खाते से 60 लाख रुपए जमा मिले. इतनी रकम कहां से आई इस सवाल के जवाब में विपुल ने पुलिस को बताया कि मतदाता पहचान पत्र बनाकर.
निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक दो तीन हफ्ते पहले आयोग में मतदाता सूची अपडेट रखने वाले विभाग के आला अधिकारियों को अपने मेल अकांउट और वेबसाइट ऑपरेशन के दौरान कुछ गड़बड़ी होने की आशंका हुई. पहले तो उनको अपने ऊपर ही शक हुआ कि ये वाकई हो रहा है या कोई टेक्निकल ग्लिच यानी लोचा है. लेकिन अधिकारियों के बीच आपस में बातचीत से पता चला की कई अधिकारियों के साथ यही हो रहा है.
आनन फानन में ये बात आयोग की आईटी सेल के विशेषज्ञों को बताई गई. एक्सपर्ट की टीम सक्रिय हुई तो पता चला गड़बड़ी का केंद्र सहारनपुर जिले में है. गहराई से छानबीन हुई तो साजिश के तार सहारनपुर के नकुड़ इलाके तक पहुंचे. फिर एक कंप्यूटर तक. इसकी सूचना सहारनपुर जिला प्रशासन और पुलिस को दी गई. आयोग के आईटी सेल के अधिकारी और जिला पुलिस की अपराध शाखा की साझा टीम ने छापेमारी कर विपुल सैनी को धर दबोचा.
पूछताछ के दौरान उसने सारा गुनाह कबूल कर लिया. पुलिस अधिकारियों को पता चला कि आरोपी विपुल सैनी चुनाव आयोग की वेबसाइट में उसी पासवर्ड के जरिए लॉगइन करता था, जिसका इस्तेमाल आयोग के अधिकारी करते थे. उसने अधिकारियों के पासवर्ड तक हैक कर रखे थे. करीब तीन महीने से वो ये गोरखधंधा कर रहा था. इस दौरान उसने दस हजार से ज्यादा फर्जी मतदाता पहचान पत्र बनाए. प्रत्येक पहचान पत्र के लिए उसे अमूमन सौ से तीन सौ रुपए तक मिलते थे.
सैनी ने अपने आका के बारे में भी बताया है. उसके बयान के मुताबिक मध्यप्रदेश के हरदा में अरमान मलिक नाम का एक शख्स रहता है. उसके कहने पर ही उसने ये सब किया है. अब पुलिस अरमान मलिक को तलाशने में जुटी है. सैनी ने कम्प्यूटर अपलाइंसेज में स्नातक की डिग्री सहारनपुर से ही ली थी.
अब पुलिस अदालत से विपुल सैनी की हिरासत लेकर उसकी निशानदेही के जरिए उन लोगों तक पहुंचेगी, जिन्होंने वोटर कार्ड यानी पहचान पत्र बनाए. ताकि पता चल सके कि वोटर पहचानपत्र बनवाने वाले कौन कौन हैं? उधर अरमान मलिक के ठिकानों पर छापेमारी की जाएगी, साथ ही विपुल के ठिकानों से बरामद कम्प्यूटर से मिले अन्य सबूतों की भी तस्दीक की जाएगी.