Khavda: एक विशाल 30 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट के निर्माण के कारण खावड़ा, विश्व के नक्शे में एक हॉट-स्पॉट बन चुका है। यह प्रोजेक्ट लगभग 538 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो पेरिस शहर के आकार का लगभग पाँच गुना है। इसका उद्देश्य एक ऐसे वैश्विक मानक की स्थापना करना है, जो अल्ट्रा-लार्ज-स्केल अक्षय ऊर्जा प्लांट के विकास को प्रोत्साहित करेगा। अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2024 में की थी। मात्र 12 महीनों के अंदर ही कंपनी ने 2 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता को चालू कर दिया और पिछले 6 महीनों में 250 मेगावाट विंड कैपेसिटी भी चालू की। भारी मानसून के बावजूद प्रोजेक्ट साइट पर नौ हजार से अधिक कर्मचारियों की टीम ने उल्लेखनीय प्रगति की है। 30 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी को 2029 तक खावड़ा में विकसित किया जाएगा, जो इतने बड़े प्रोजेक्ट को तेज गति से पूरा करने के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित करेगा।
इस प्लांट में बिजली उत्पादन को बढ़ाने के लिए सबसे उन्नत बाइफेशियल सोलर मॉड्यूल और ट्रैकर्स का उपयोग किया गया है। भारत की 24 घंटे रिन्यूएबल एनर्जी उपलब्ध कराने में विंड एनर्जी का अहम योगदान है। दिन में सोलर पावर और रात में विंड एनर्जी का उपयोग कर इसे सुनिश्चित किया जा सकता है। इसके अलावा, विंड एनर्जी ग्रिड को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है।
खावड़ा में लगी 5.2 मेगावॉट की विंड टर्बाइन बनाने में जर्मन टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है और यह अदाणी न्यू इंडस्ट्री लिमिटेड की मुंद्रा पोर्ट की फैक्टरी में बनाई गई है। ये टर्बाइन दुनिया के सबसे शक्तिशाली ऑनशोर टर्बाइनों में से एक हैं, और 8 मीटर प्रति सेकंड की हवा की गति का पूरा लाभ उठाकर बिजली उत्पादन की लागत को कम करने में मदद करती हैं। खावड़ा में पूरी तरह से रोबोटिक सफाई तकनीक भी इस्तेमाल की गई है, जिससे मॉड्यूल की सफाई के लिए पानी का उपयोग लगभग ख़त्म हो जाता है और बिजली उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है।
अदाणी ने खावड़ा की बंजर भूमि को एक स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा हब में बदल दिया है। इस प्रोजेक्ट से भारत में लगभग 1 करोड़ 61 लाख घरों को ऊर्जा की आपूर्ति की जा सकती है। खावड़ा दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्लान्ट वैश्विक डी-कार्बनाइज़ेशन के प्रयासों को भी बढ़ावा देता है।
एजीईएल भारत की पहली रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी है जो ‘नेट ज़ीरो एलायंस’ में शामिल हुई है। सीओपी-28 में स्थापित, यह एलायंस प्रमुख वैश्विक उपयोगिताओं और बिजली कंपनियों को एकजुट करता है, ताकि एक सतत ऊर्जा भविष्य का निर्माण किया जा सके। इस प्रोजेक्ट से भारत सालाना 5 लाख 80 हजार टन सीओटू उत्सर्जन से बचने में सक्षम होगा। अदाणी ग्रीन का अक्षय ऊर्जा पोर्टफोलियो 12 राज्यों में फैला हुआ है, जिसमें से ज़्यादातर उत्पादन राजस्थान और गुजरात में होता है।