राज्य सरकार द्वारा 12वीं परीक्षा रद्द करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई खुशी, मार्किंग क्राइटेरिया के लिए दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसे यह जानकार खुशी है
सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसे यह जानकार खुशी है कि सरकार ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया है और उसने सीबीएसई और सीआईसीएसई को अंकों के मूल्यांकन के लिए उद्देश्यपरक मानदंड दो हफ्तों के भीतर पेश करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सीआईएससीई की तरफ से पेश वकील जे के दास को दो हफ्तों के भीतर मानदंड पेश करने को कहा.
पीठ ने कहा, ''हम खुश हैं कि सरकार ने 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया है लेकिन हम चाहते हैं कि अंकों के मूल्यांकन के लिए सामान्य मानदंड हमारे समक्ष पेश किया जाए.'' पीठ ने स्पष्ट किया कि वह मानदंड पेश करने के लिए और वक्त नहीं देगी क्योंकि कई छात्र भारत तथा विदेश में कॉलेजों में दाखिले लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह अंकों के मूल्यांकन के लिए सामान्य मानदंडों पर गौर करेगा ताकि किसी को भी कोई आपत्ति हो तो उसे सुलझाया जा सके. पीठ ने कहा, ''याचिकाकर्ता द्वारा बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने की मांग के साथ ही यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है.''
सरकार ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सीबीएसई की 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का मंगलवार को फैसला लिया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि छात्रों के हित में यह फैसला लिया गया है. मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय बैठक में साथ ही यह फैसला भी हुआ कि सीबीएसई 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों के परिणामों को समयबद्ध तरीके से एक पूर्णत: स्पष्ट उद्देश्यपरक मानदंड के अनुसार संकलित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा.