Shimla. शिमला। हिमाचल की सरकार खुद अपने संसाधनों से वित्तीय कठिनाइयों को दूर करने की कोशिशों में जुटी है। अगले बजट में इसकी झलक दिखेगी। राज्य सरकार ने कड़े फैसले लेकर संसाधनों में बढ़ोतरी के लिए काम किया है और अगले बजट में भी सरकार इस पर फोकस करेगी। विधानसभा के विंटर सेशन में सरकार ने मिनरल सेस और उद्योगों के लिए बिजली सेस का प्रावधान किया है, जिससे सालाना 150 करोड़ रुपए की राशि आने की उम्मीद है। ऐसा वित्त विभाग मानता है। वहीं, शराब पर पहले से ही सेस लागू है और इससे 110 करोड़ रुपए सरकार का सालाना अतिरिक्त रूप से आ रहा है। पिछले बजट में सरकार ने बिजली कंपनियों पर वाटर सेस लगाने की योजना लाई थी, मगर उसकी यह योजना सिरे नहीं चढ़ पाई, जिससे सरकार का बड़ा नुकसान हुआ है। इससे सरकार को सालाना 2000 करोड़ रुपए तक की राशि मिल जानी थी, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई।
अब सरकार को कोई नया रास्ता निकालना है, ताकि उसके पास अच्छी खासी राशि अपने संसाधनों से आ जाए। इस पर वित्त महकमा लगातार मशक्कत कर रहा है और माना जा रहा है कि इसमें जल्दी ही सफलता हाथ लगेगी। इसी का एक उदाहरण यह भी है कि वित्त विभाग ने बैंकों में बिना खर्च किया पैसा खंगालने की शुरुआत की है। वित्त विभाग ने सभी विभागों से इसकी डिटेल मांगी है और इससे काफी पैसा सरकार के पास वापस आ सकता है, जिसे सरकार विकास योजनाओं पर सरकार खर्च करेगी। सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के जो भी तरीके हैं और अपने जो भी संसाधन हैं, उनको पूरी तरह से एक्सप्लोर किया जाएगा। इसको लेकर अधिकारियों को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने निर्देश दिए हैं। बता दें कि अगले वित्त वर्ष में वित्तायोग की सिफारिशों में मिलने वाली राजस्व घाटा अनुदान की राशि बहुत कम हो जाएगी, जिससे साल भर काम चलाना मुश्किल होगा।