दोषी की सजा में कटौती, रेप मामले में हुई थी उम्रकैद

Update: 2022-08-19 02:15 GMT

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला से रेप के दोषी की सजा आजीवन कारावास से घटाकर 10 साल कर दी है. जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस एमएन जाधव की बेंच ने कहा कि पीड़िता इस घटना के बाद के परिणामों के समझने की हालत में थी. इसके बावजूद महिला उस स्थान पर गई.

सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि इस मामले में मानसिक रूप से थोड़ी कमजोर महिला के साथ घटना हुई है, लिहाजा इस केस पर अत्यंत संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाना चाहिए. पीठ ने दोष सिद्धि को बरकरार रखते हुए कहा कि मौजूदा मामले में पीड़िता असहाय, मानसिक रूप से विक्षिप्त है. वर्तमान मामले को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ निपटाए जाने की आवश्यकता है. उसकी गोपनीयता और व्यक्तिगत अखंडता को अपीलकर्ता ने क्षति पहुंचाई है.

दरअसल, पीड़िता अपने भाई के परिवार के साथ रहती थी. मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण उसकी शादी नहीं हुई थी. वह दिनभर आसनगांव स्टेशन, शाहपुर, वाशिंद स्टेशन, कल्याण स्टेशन और ठाणे स्टेशन के आसपास घूमती रहती थी. 2014 में पीड़िता के परिवार को पता चला कि वह गर्भवती है. उन्होंने उसकी सोनोग्राफी कराई, इसमें प्रेग्नेंसी की बात सामने आ गई. लेकिन पीड़िता ने यह नहीं बताया कि उस स्थिति के लिए कौन जिम्मेदार था. इसलिए शाहपुर थाने में FIR दर्ज की गई है. पुलिस ने पीड़िता से पूछताछ की तो उसने 22 वर्षीय आरोपी अनिल कोल्हे के बारे में जानकारी दी. जो कि मजदूरी करता था. कोल्हे की पहचान पीड़िता ने थाने में की. 1 जुलाई 2014 को पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया और पुलिस ने DNA टेस्ट के लिए ब्लड के सैंपल लिए. रिपोर्ट 2015 में आई और पुष्टि की गई कि आरोपी नवजात बच्चे का पिता था. चूंकि पीड़िता बच्चे की देखभाल करने की स्थिति में नहीं थी, इसलिए नवजात को ठाणे के एक ट्रस्ट में भेज दिया गया.

कोर्ट ने की ये टिप्पणी

अभियोजन पक्ष का कहना था कि आरोपी ने ठाणे जिले के कसारा कस्बे के पास एक सुनसान जगह पर कम से कम 5 बार रेप किया था. पुलिस के मुताबिक कोल्हे को इस बात की पूरी जानकारी थी कि पीड़िता मानसिक रूप से विक्षिप्त है. बचाव पक्ष में आरोपी की ओर से कहा गया कि पीड़िता मानसिक रूप से विक्षिप्त नहीं है और साथ शारीरिक संबंध उसकी सहमति और प्रेम प्रसंग के कारण किए गए थे. कल्याण जिले की विशेष अदालत ने 28 जनवरी 2016 को कोल्हे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

वहीं हाईकोर्ट ने पीड़िता के बयानों पर गौर किया कि रेप की पूरी घटना को बताने के अलावा, उसने कोल्हे से शादी करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन उसके परिवार ने इसकी अनुमति नहीं दी. बेंच ने पीड़िता की मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि वह थोड़ा मानसिक रूप से भी कमजोर थी.

हाईकोर्ट ने डीएनए सबूत के आधार पर रेप के मामले में दोषसिद्धि को बरकरार रखा. हालांकि बेंच ने कहा कि पीड़िता मानसिक रूप से थोड़ी कमजोर थी, लेकिन फिर भी उसे इस बात की जानकारी थी कि वह क्या कर रही है और इसके परिणाम क्या होंगे. ऐसे में आजीवन कारावास की सजा कठोर होगी. बेंच ने दोषी की उम्रकैद की सजा को 10 साल की सजा में बदल दिया. साथ ही जुर्माने की राशि को भी बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया.


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