एसी के बंद कमरों में बनने वाली योजनाएं नहीं बुझा पाई जंगलों की आग

Update: 2024-05-22 12:15 GMT
हमीरपुर। हिमाचल प्रदेश के जंगलों को आग से बचाने के लिए बनाई जाने वाली तमाम योजनाएं महज सलोगनों तक ही सिमट कर रह गई हैं। बंद एसी कमरों में योजनाओं का खाका को तैयार कर लिया जाता है, लेकिन आज तक कोई भी योजना जंगलों को आग से बचाने में कामयाबी हासिल नहीं कर पाई है। वर्तमान हालात ऐसे हैं कि प्रदेश के जंगल हर रोज जल रहे हैं। हमीरपुर जिला में मात्र डेढ़ महीने में 215 हैक्टेयर वन क्षेत्र जल चुका है। डेढ़ महीने में 47 आगजनी के मामले सामने आए हैं। हैरानी इस बात की है कि हमीरपुर वन वकहमा अपने कार्यालय के समीप वाले जंगल को भी आग से नहीं बचा पाता। ऐसे में दूर दराज जंगलों को आग से बचाने के खोखले दावे कहां हकीकत बन सकते हैं। वन विभाग के लाख प्रयासों के बावजूद जंगल धू-धू कर आग की भेंट चढ़ रहे हैं। वनों को दहकने से बचाने के लिए कई कदम उठाने के प्रयास किए गए।

लेकिन सफलता आज तक हाथ नहीं लग पाई। ग्रामीण क्षेत्रों में कमेटियां का भी कई वर्ष पहले गठन किया गया था। इन कमेटियों को जंगल की सुरक्षा की जिम्मेवारी दी गई थी लेकिन योजना सिरे नहीं चढ़ सूत्र बताते हैं कि कई वर्ष पहले जंगलों में बड़े-बड़े कुंआनुमा गड्ढे बनाए गए थे, ताकि इनमें जमा पानी का इस्तेमाल जंगल की आग को बुझाने के लिए किया जा सके। इन कुआंनुमा गड्ढों का तो शायद अब नामोनिशान ही मिट चुका है। जिला में 338 हैक्टेयर भूमि पर उगे हुए पेड़ पौधे आग की भेंट चढ़े हैं जिसमें 228 हैक्टेयर भूमि वन विभाग की थी। बेशक आगजनी की घटनाओं को रोक पाने में महकमे को कामयाबी हाथ नहीं लगी लेकिन प्रत्यन लगातार जारी है । हैरानी तब होती है जब हमीरपुर वन विभाग के आफिस के साथ वाला जंगल भी आग की भेंट चढ़ जाता है। कार्यालय से मात्र 10 से 20 मीटर की दूरी के जंगल आग से नहीं बच पा रहे तो फिर 10 से 20 किलोमीटर दूर जंगलों को कैसे बचाया जा सकता है।
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