टोंक। टोंक में लंबे समय से बारिश नहीं होने से किसानों की फसल सूखने के कगार पर आ गई है। किसान इंद्रदेव को खुश करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं। घाड़ क्षेत्र के केदारा गांव में रविवार शाम घांस भैरु की सवारी गाजे बाजे के साथ निकाली गई। इस दौरान महिलाएं नाचते गाते हुई और भेरुजी पर तेल चढ़ाते हुए चल रही थे। जिले में करीब एक महीने से जिले के अधिकांश हिस्सों में तेज बारिश नहीं हुई है। इसके चलते किसान मायूस है। वे अब इंद्रदेव को मनाने के लिए प्रयास कर रहे है। रविवार शाम को घाड़ क्षेत्र के केदारा गांव में लोगों ने रीति रिवाज के साथ घांस भैरु की सवारी निकलना शुरू हुआ। पूरे गांव से होकर यह सवारी निकाली गई। सवारी के दौरान युवा घांस भैरु को आसन पर विराजमान कर रस्सियों पर जोर लगाते और जयकारे लगाते नजर आए। सवारी घरों के सामने से गुजरी तो लोगों ने अगरबत्ती जलाकर और तेल, प्रसाद आदि अर्पण कर पूजा की।
मुख्य बस स्टैंड से शुरू हुई यह सवारी कस्बे के प्रमुख मार्गों से होकर अपने गन्तव्य स्थान पहुंचकर संपंन हुई। इस मौके पर ग्रामीण अपने घरों में बीमारियों से बचाव के लिए मिट्टी दरवाजों पर लगाते नजर आए। सवारी के दौरान घांस भैरु के रूठने की भी परंपरा है। ऐसे में लोग उन्हें सिंहासन से उतारकर शराब अर्पित करते हैं और गीत गाए जाते हैं। इसके बार फिर से घांस भैरु को सिंहासन पर बिराजमान करके सवारी निकाली जाती है। घांस भैरु की यात्रा में हर उम्र के पुरुष और महिलाएं शामिल होते हैं। महिलाएं गीत गाती चल रही थीं। देवली से श्री सांवरिया सेठ समिति की ओर से सोमवार को शहर से आठवीं सांवरिया सेठ और सिंगोली श्याम पदयात्रा धूमधाम के साथ रवाना हुई। इससे पहले बावड़ी बालाजी मंदिर परिसर में सभी श्रद्धालु एकत्रित हुए और पूजा अर्चना कर पदयात्रा के सफलता की कामना की। यह पदयात्रा 12 सितंबर को 11:15 बजे मंदिर पर ध्वज अर्पित करेंगी। पदयात्रा समिति के मुख्य व्यवस्था पर ओमप्रकाश माहेश्वरी ने बताया कि इस दौरान पदयात्रा में पहली बार समिति की ओर से बनाए गए नए सांवलिया रथ का उपयोग किया गया। ध्वजवाहक के साथ रवाना हुई पदयात्रा का शहर में करीब आधा दर्जन से अधिक जगहों पर लोगों ने पुष्प वर्षा व जलपान, फलाहार कराकर स्वागत किया गया।