पूरी रात मरीज स्ट्रेचर पर पड़ा रहा, डॉक्टरों की तंगदिली का शिकार हुआ ये लड़का
जानें पूरा मामला।
लखनऊ: केजीएमयू ट्रॉमा के डॉक्टरों ने मोहान रोड स्थित राजकीय बालगृह विशेषीकृत के संवासी सुमित (10 ) को मंगलवार की रात भर्ती करने के बजाय कुछ दवाएं लिखकर लोहिया संस्थान रेफर कर दिया। लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में भी बेड खाली न होने की बात कहकर लौटा दिया। पूरी रात मरीज स्ट्रेचर पर पड़ा रहा।
बुधवार दोपहर करीब एक बजे केजीएमयू में भर्ती किया गया। कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। इससे पहले बच्चा 19 जनवरी से बलरामपुर अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती था। केजीएमयू ट्रॉमा के सीएमएस डॉ. संदीप तिवारी कहते हैं कि बच्चे को भर्ती कर जरूरी इलाज किया गया। फिर भी मामले की जांच कराई जाएगी।
12 घण्टे दौड़ते रहे
राजकीय बालगृह विशेषीकृत की अधीक्षिका रश्मि वर्मा का कहना है कि मंगलवार रात से बुधवार दोपहर तक 12 घण्टे केजीएमयू और लोहिया संस्थान के चक्कर लगाते रहे। डॉक्टरों से बच्चे को भर्ती करने की मिन्नतें भी की लेकिन किसी ने नहीं सुनी। कर्मियों ने डॉक्टरों पर बच्चे को भर्ती न किए जाने व इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है।
बेड नहीं होने की बात कहकर रेफर करते मरीज
केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर, पीजीआई और लोहिया संस्थान कि इमरजेंसी में मरीजों को भर्ती न करने का यह कोई मामला नहीं है। यहां दिन हो रात मरीजों को बिना देखे दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। तीमारदार मरीज को एम्बुलेंस व खुद के साधन में लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं। वहीं केजीएमयू के ट्रॉमा में एक माह पहले डेंगू पीड़ित मरीज को बेड न होने की बात कहकर भर्ती नहीं किया। हालत बिगड़ने पर परिजन निजी अस्पताल ले गए। जहां इलाज के दौरान मौत हो गई। उधर, जनवरी में पीजीआई में डॉक्टरों की सुरक्षा में लगे होमगार्ड की भोर में तबीयत बिगड़ने पर सहकर्मी इमरजेंसी में ले गए लेकिन डॉक्टरों ने इलाज करना तो दूर हाथ तक नहीं लगाया।