कानून से नहीं बच पाया 4 लोगों को मारने वाला, पढ़ें अलग तरह की खबर
दो हजार के लालच में पकड़ा गया।
जमशेदपुर: अपराध की दुनिया में एक पुरानी कहावत है कि अपराधी वारदात के समय कोई न कोई सुराग छोड़ जाता है। दूसरी कहावत यह भी है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और अगर पुलिस की जांच सही दिशा में हो और तरकीब अपनाई जाए तो अपराधी बच नहीं पाता है। जमशेदपुर के इस सामूहिक हत्याकांड में नई तरकीब से पकड़े गए अपराधी पर दोनों कहावतें सटीक बैठती हैं।
जमशेदपुर के कदमा इलाके में 12 अप्रैल 2021 की शाम टाटा स्टील के कर्मचारी दीपक ने अपनी पत्नी, दो बच्चियों और ट्यूशन टीचर की हत्या कर दी और फरार हो गया। करीबी लोगों को तो पता था कि उसी ने चारों की हत्या की है, पर पकड़ में नहीं आ रहा था। बाद में हत्यारा महज दो हजार के लालच में पकड़ा गया।
उस दिन दीपक ने अपने दोस्त और उसकी पत्नी को खाने पर बुलाया। दोस्त अपने परिवार के साथ उसके घर पहुंचा। इसी बीच उसके दोस्त की पत्नी अपनी बेटी को लेकर टॉयलेट गई। जैसे ही वह टॉयलेट पहुंची तो उसे अपने पति के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। जब वह दौड़ती हुई वहां पहुंची तो उसका पति खून से लथपथ सोफे पर पड़ा था। जबकि उसका दोस्त उसपर हथौड़ी से वार कर रहा था। जैसे-तैसे वह अपने बच्चे और पति को लेकर घर से बाहर आई। बाद में ऑटो से अपने पति को लेकर टाटा मेन हॉस्पिटल पहुंची। उसके बाद दोस्त की पत्नी ने दीपक के साले को मारपीट की घटना की जानकारी दी। घटना की जानकारी जब दीपक के साले को मिली तो वह भी घर पहुंचा। उसे घर में देख दीपक ने अपने साले पर भी हथौड़ी से हमला किया।
साला वहां से किसी तरह से बचकर निकला और कदमा थाने में जाकर सूचना दी। कदमा पुलिस उसके घर पहुंची तो देखा कि ताला लगा है। तब तक दीपक के बच्चे को ट्यूशन पढ़ाने वाली रिंकी घोष के परिजन भी वहां उसे खोजते पहुंच गए। लेकिन रिंकी घोष वहां नहीं मिली। हालांकि रिंकी की स्कूटी घर के अंदर मिली। उसके बाद पुलिस घर में घुसी तो कमरे के अंदर खून ही खून नजर आया। सभी कमरे की तलाशी लेने के दौरान पुलिस को कुछ भी नहीं मिला। इस बीच पुलिस की नजर पलंग में लगे खून पर गई। पलंग को खोला गया तो शव मिले। शवों की पहचान में दीपक की पत्नी वीणा कुमारी (36), बड़ी बेटी श्रावणी कुमारी (15), छोटी बेटी दिव्या कुमारी (10) के अलावा ट्यूशन टीचर रिंकी घोष (21) के रूप में की गई।
घटना के बाद जमशेदपुर की पुलिस ने आरोपी दीपक का फोटो अखबारों में जारी कर दिया था। जगह-जगह पर इश्तेहार भी लगाया गया था। लेकिन कहीं से भी उसका सुराग नहीं मिल पाया। पुलिस उसके एटीएम कार्ड को आधार बनाकर जांच कर रही थी। उसके अकाउंट में दो हजार रुपये भेजे गए। यह पुलिस की योजना थी। रुपये खाते में आने के बाद वह एक एटीएम में गया कि पैसे कहां से आए हैं। बस यही उसकी बड़ी चूक थी। जैसे उसने एटीएम में कार्ड डाले, पुलिस को जगह का पता चल गया। वह धनबाद के बैंक मोड़ की एटीएम थी। उस एटीएम के बारे में तत्काल ही धनबाद पुलिस को सूचित किया गया। दीपक की फोटो भी भेजी गई। उस इलाके के आसपास के होटलों को सर्च किया गया। एक में दीपक की तस्वीर जैसे व्यक्ति को तीन दिन से ठहरने की जानकारी मिली। दीपक को पकड़ने का पुलिस का यह तरीका सफल हो गया। जब होटल वाले के बताए अनुसार पुलिस उस कमरे में गई तो वहां दीपक पकड़ा गया।