कोर्ट में जज ने आरोपी को सुनाई आजीवन कारावास की सजा, मुंशी को धक्का देकर हुआ रफूचक्कर, जानिए पूरा मामला

एसपी सहित कई पुलिसकर्मी दोषी की तलाश में कई किलोमीटर पैदल अपराधी की खोज करते रहे...

Update: 2021-03-06 05:44 GMT

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिला कोर्ट में जज ने पोक्सो एक्ट के तहत रेप के एक दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सजा सुनकर दोषी के पैरों तले जमीन खिसक गई. मौके का फायदा उठाकर दोषी जितेंद्र भील न्यायालय से फरार हो गया. इस घटना के बाद राजगढ़ एसपी प्रदीप शर्मा सहित कई पुलिसकर्मी दोषी की तलाश में कई किलोमीटर पैदल अपराधी की खोज करते रहे लेकिन अभी तक फरार अपराधी जितेंद्र भील का पता नहीं चल सका है.

ये मामला राजगढ़ जिला कोर्ट परिसर का है. यहां पॉक्सो एक्ट सहित नाबालिग के साथ बलात्कार करने के मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दोषी जितेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सजा सुनते ही कोर्ट परिसर से अपराधी जितेंद्र कोर्ट के मुंशी को धक्का देकर फरार हो गया. अपराधी के फरार होने के बाद राजगढ़ एसपी प्रदीप शर्मा सहित कई पुलिसकर्मी अपराधी की तलाश करते रहे.
बताया जा रहा है कि दो साल पहले जितेंद्र भील ने मानसिक विकलांग बच्ची के साथ बलात्कार किया था. वहीं, जब नाबालिग बच्ची गर्भवती हो गई तब परिजनों के पूछने पर पीड़िता ने अपने परिजनों को घटना के बारे में बताया. इसके बाद 2018 में ठीक दो साल पहले नाबालिग पीड़िता को लेकर उसके परिजन राजगढ़ थाने पहुंचे और आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया.
परिजनों की शिकायत पर राजगढ़ थाने में पॉक्सो एक्ट सहित नाबालिग से बलात्कार करने और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया. जब जिला राजगढ़ न्यायलय ने अपराधी को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई तो वह अदालत से ही फरार हो गया.
डीपीओ (सरकारी वकील) आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि 2 अक्टूबर 2018 को पीड़ित नाबालिग की मां ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी उसकी लड़की मानसिक रूप से विक्षिप्त है. आरोपी जितेन्द्र भील उसके साथ बहला-फुसलाकर जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता रहा. इसके कारण वह गर्भवती हो गई. जब पीड़िता की मां उसे डॉक्टर के पास लेकर गई तो डॉक्टर ने बताया कि वह प्रेग्नेंट है. इसको 13 सप्ताह का गर्भ है. इसके बाद थाने में जाकर महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराई. पीड़ित बालिका के बयान और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने आरोपी जितेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. सजा सुनने के बाद वह न्यायालय से भागने में सफल रहा.
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