सुप्रीम कोर्ट का दिखा तल्ख अंदाज, CJI पर आधारहीन आरोप लगाने वालों पर कही यह बात

Update: 2021-07-31 12:07 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक याचिकाकर्ता पर लगाए गए पांच लाख रुपए के जुर्माने में किसी तरह की रियायत देने से साफ इनकार कर दिया. जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता मुकेश जैन के वकील एपी सिंह की कोई दलील नहीं सुनी और भू राजस्व के रिकॉर्ड से जुर्माना वसूली का आदेश दिया.

क्या है पूरा मामला?
याचिकाकर्ता मुकेश जैन और स्वामी ओम (अब दिवंगत) ने 2017 में जस्टिस दीपक मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी. इन दोनों ने तब के चीफ जस्टिस जगदीश सिंह केहर की उस सिफारिश पर सवाल उठाए थे जो उन्होंने पारंपरिक तौर पर राष्ट्रपति को भेजी थी और उसमें उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में वरिष्ठतम जज जस्टिस दीपक मिश्रा को अगला चीफ जस्टिस बनाए जाने की सिफारिश की थी.
यह पीआइएल तो अगस्त 2017 में पहली सुनवाई पर ही खारिज हो गई. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर सिर्फ चर्चा में बने रहने के लिए फिजूल की याचिका दायर कर कोर्ट के समय को खराब करने के जुर्म में दस लाख रुपए का जुर्माना लगाया. साथ ही ये ताकीद भी की कि पूरा जुर्माना अदा किए बिना याचिकाकर्ता मुकेश जैन आइंदा कोई भी याचिका दाखिल नहीं कर पाएंगे.
दो साल बाद 2019 में जब जैन ने जुर्माना माफ़ करने की गुहार लगाई तो कोर्ट ने इसे आधा कर पांच लाख कर दिया. अब दो साल बाद जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ के समक्ष जैन जुर्माने की पूरी माफी की अर्जी लेकर आए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने उनकी गुहार मानने से इंकार करते हुए कहा कि इसकी वसूली याचिकाकर्ता के भू राजस्व से की जाए. याचिकाकर्ता के वकील एपी सिंह ने कोर्ट को बताया कि मुकेश जैन तो ओडिशा की एक जेल में बन्द हैं. उन्होंने तब के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ सोशल मीडिया में व्हाट्सएप के जरिए आपत्तिजनक पोस्ट डाले थे. मुकदमा चला. जैन दोषी पाए गए और अब सजा भुगत रहे हैं. कोर्ट ने कहा फिर तो माफी का सवाल ही नहीं होता. क्योंकि याचिका में सुप्रीम कोर्ट के जजों पर आधारहीन आरोप लगाए गए थे. इसलिए जुर्माना जरूर वसूला जाए.
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