डॉक्टर ने अपनी कार को बनाया क्लीनिक...मेडिकल उपकरण, ऑक्सीजन सिलेंडर सहित ईसीजी मशीन से है लैस

कोरोना मरीजों का इलाज

Update: 2021-05-16 16:07 GMT

पिछले 20 दिन से डॉ. सुनील कुमार हेब्बी बेहद व्यस्त हैं कारण ये है कि उन्होंने अपनी ही कार को मोबाइल क्लीनिक में बदल दिया है. बेंगलुरु में इसी मोबाइल क्लीनिक के जरिए कोविड और गैर-कोविड, दोनों तरह के मरीजों का इलाज करते हैं. आसपास के लोग इन्हें अब मोबाइल डॉक्टर के नाम से भी लोग जानने लगे हैं. डॉ हेब्बी मूल तौर पर विजयपुर जिले के नामादापुरा से ताल्लुक रखते हैं. 37 साल के डॉ हेब्बी ने बीजापुर मेडिकल कॉलेज से 2007 में MBBS की डिग्री ली. वे बेंगलुरु में BBMP कोविड क्लीनिक में रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक कॉन्ट्रेक्ट पर सर्विस करते हैं. सुबह भी चंद घंटे ही सो पाते हैं क्योंकि उनके मोबाइल पर मरीजों के कॉल और वॉट्सऐप मैसेज आने लगते हैं. फिर वे मोबाइल क्लीनिक से लोगों के इलाज के लिए निकल पड़ते हैं. डॉ. हेब्बी ने अपनी कार को इमरजेंसी दवाएं, मेडिकल उपकरण, ऑक्सीजन सिलेंडर, ईसीजी मशीन आदि से लैस कर रखा है. डॉ. हेब्बी ने आजतक से बातचीत में कहा कि छोटे गांव से ताल्लुक रखने की वजह से हेल्थकेयर तक आसान पहुंच न होने के दर्द को वे अच्छी तरह जानते हैं.

डॉ हेब्बी ने बताया कि कोविड ड्यूटी करने की वजह से उन्होंने अपने माता-पिता को गांव भेज दिया है. सुबह आठ बजे क्लीनिक से घर लौटने के बाद वो दस बजे तक ही आराम कर पाते हैं. इसके बाद फिर मरीजों के इलाज का सिलसिला शुरू हो जाता है. पिछले 20 दिनों में मैं करीब 200 लोगों का इलाज कर चुके हैं.

कोविड के हल्के लक्षण वालों को डॉ. हेब्बी निशुल्क इलाज उपलब्ध कराते हैं. वे मरीज की स्थिति के मुताबिक विजिट करते हैं. उनकी प्राथमिकता में वरिष्ठ नागरिक या ऐसे लोग रहते हैं जो बाहर निकलने की स्थिति में नहीं हैं और घर पर अकेले रह रहे हैं. आजतक ने डॉ हेब्बी से जब बात की तब तक वो दो मरीजों के घर पर विजिट कर चुके थे. इनका इलाज वीडियो कॉल के जरिए चल रहा था. डॉ हेब्बी ने बताया ''मरीज को सांस लेने में दिक्कत थी और उसका सेचुरेशन लेवल 85 से 90 के बीच ऊपर नीचे हो रहा था. वो मेरे से वीडियो कंस्लटेशन से संपर्क में था. जब उसने अर्जेंट बुलाया तो मैं घर देखने गया. दोनों पिता और बेटी कोविड पॉजिटिव हैं.''

डॉ हेब्बी ने बताया, "लोग मुझसे मुख्य तौर पर वॉट्सऐप के जरिए संपर्क करते हैं. बहुत कॉल आती हैं करीब 100-150 हर दिन. मैं मरीजों से कहता हूं कि अपनी हेल्थ की पूरी डिटेल्स वॉट्सऐप करें. जिससे कि मैं उन्हें जवाब दे सकूं कि तत्काल क्या किया जाना चाहिए. अगर जरूरत होती है तो मैं उनके घर पर विजिट करता हूं." डॉ हेब्बी के मुताबिक वे दिन भर शहर में ड्राइव करते हैं इसलिए पीपीई किट नहीं पहनते, लेकिन पर्याप्त सावधानी बरतते हैं. कार पर मोबाइल क्लीनिक की प्रेरणा कहां से मिली, इसके जवाब में डॉ हेब्बी ने कहा, 2010 में उन्होंने सड़क हादसे में घायल एक शख्स का इलाज अपनी कार में मौजूद फर्स्ट ऐड किट से किया था. बाद में उस शख्स के परिवार के सदस्य मेरे पास शुक्रिया अदा करने के लिए आए. उन्होंने कहा कि अगर वक्त पर इलाज नहीं मिलता तो कुछ भी हो सकता था. तभी से मैंने नियम बना लिया कि अपनी कार में मेडिकल इमरजेंसी किट साथ लेकर चलता हूं, जिससे सड़क पर जरूरत पड़ने पर किसी का इलाज किया जा सके."

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