मासूम की मौत ने फिर दिलाई जल संकट की याद, 60 करोड़ लोग जूझ रहे हैं इस संकट से

जिस पानी को लेकर कई मुहावरे और कई परिभाषाएं गढ़ी गई हैं

Update: 2021-06-08 18:17 GMT

जिस पानी को लेकर कई मुहावरे और कई परिभाषाएं गढ़ी गई हैं, वो राजस्थान में आज़ाद भारत का शोक बन गया. 5 साल की एक बच्ची प्यास के मारे तड़प-तड़प कर दम तोड़ देती है और आधुनिक होता हमारा समाज अफ़सोस जताने के अलावा कुछ नहीं कर पाता. ये घटना राजस्थान के जालौर की है.

रविवार को 60 वर्ष की सुखी देवी अपनी नातिन अंजली के साथ रायपुर से डुंगरी के लिए निकलीं. लॉकडाउन की वजह से सड़कों पर कोई वाहन नहीं मिला तो नानी और नातिन ने पैदल जाने के लिए दूसरा रास्ता लिया. एक तो 45 डिग्री तापमान ऊपर से 22 किलोमीटर का सफर. रेतीले टीलों के बीच कहीं पानी नहीं मिला. सुखी देवी अपने साथ पानी लेकर भी नहीं निकली थीं.
तपती गर्मी और रेतीले रास्ते में एक बूंद पानी नहीं मिला तो आखिर में अंजली ने दम तोड़ दिया और उसकी नानी भी वहीं बेसुध होकर गिर पड़ी. एक चरवाहे ने दोनों को देखा तो स्थानीय सरपंच को जानकारी दी और मौके पर पुलिस भी पहुंची. मानसिक रूप से अहसज सुखी देवी का इस समय अस्पताल में इलाज चल रहा है.
अंजली के मां-बाप अलग हो चुके हैं.मां ने किसी और से शादी कर ली और पिता अंजली के दोनों भाइयों के साथ कहीं और रहते हैं.कुल मिलाकर इस बच्ची के लिए इस दुनिया में नानी ही एक सहारा थीं.
राजस्थान के गांवों में 1.01 करोड़ घर हैं जिनमें से 19.3 प्रतिशत तक ही नल के पानी का कनेक्शन मौजूद है. इन्हीं आंकड़ों पर आरोप लग रहे हैं कि राजस्थान में केंद्र के भेजे गए फंड का पूरा इस्तेमाल नहीं हो रहा. 2020-21 में राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में करीब 6.77 लाख नए कनेक्शन ही लगाए गए हैं.
राजस्थान में जल संकट का आलम ये है कि कई जिलों में पानी की पहरेदारी की जाती है राजस्थान के बाड़मेर में चारों तरफ सुखा है. तालाबों में भी थोड़ा बहुत पानी है.जिन चंद कुओं में पानी है उन पर ताला लगा दिया गया है.
60 करोड़ लोग जल संकट से जूझ रहे हैं
पानी की समस्या सिर्फ राजस्थान में नहीं, बल्कि पूरे देश में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के 60 करोड़ लोग गंभीर जल संकट से गुजर रहे हैं. 20 साल में ये आंकड़ा 140 करोड़ तक पहुंच सकता है. देश की 40 फीसदी आबादी अभी भी सूखाग्रस्त इलाके में रहती है.
लगातार घटते ग्राउंट वाटर लेवल ने चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं. पीने के पानी की दिक्कत को दूर करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जल जीवन मिशन की शुरुआत की गई है. इसके तहत हर-घर तक शुद्ध जल पहुंचाने का संकल्प लिया गया है. इस योजना के तहत 6 करोड़ घरों तक साफ पानी पहुंचाने का टारगेट है. जल जीवन मिशन के तहत चार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 100 फीसदी घरों तक नल का पानी पहुंचाया जा चुका है. इनमें गोवा, तेलंगानाॉ अंडमान निकोबार और पुडुचेरी शामिल हैं.
लेकिन देश के कई बड़े राज्यों का हाल आज भी बेहाल है. उत्तर प्रदेश में अब सिर्फ 11.36 फीसदी यानि 29 लाख 92 हजार 780 घरों तक टैप वाटर कनेक्शन है यानि करीब 89 फीसदी घरों में टैप वॉटर कनेक्शन नहीं लग पाया है. पश्चिम बंगाल के हालात तो और भी खराब हैं. यहां सिर्फ 9.97 फीसदी यानि 16 लाख 28 हजार 251 घरों तक टैप वाटर कनेक्शन पहुंच पाया है जबकि बंगाल के 90 फीसदी से ज्यादा घरों में तक पीने के पानी का कनेक्शन नहीं पहुंचा. राजस्थान में 19.64 फीसदी यानि 19 लाख 89 हजार 765 घरों तक नल का कनेक्शन है जबकि 80 फीसदी घर अभी भी टैप वॉटर कनेक्शन का इंतजार कर रहे हैं.


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