इस्लामिक स्कॉलर और लेखक मौलाना वहीदुद्दीन खान का निधन...PM मोदी ने जताया शोक

इस्लाममिक स्कॉलर मौलाना वहीदुद्दीन का इंतकाल

Update: 2021-04-22 02:09 GMT

फाइल फोटो 

प्रसिद्ध इस्लाममिक स्कॉलर मौलाना वहीदुद्दीन का इंतकाल हो गया है. वे कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे. उन्हें हाल ही में एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तबीयत बिगड़ने के कारण बुधवार रात उन्होंने 96 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांस ले ली है. मौलाना वहीदुद्दीन को इसी साल राष्ट्रपति द्वारा देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी पद्म विभूषण से नवाजा गया था.

मौलाना वहीदुद्दीन को हिन्दू-मुस्लिम सामंजस्य के लिए जाना जाता है. गांधीवादी विचारों के मुस्लिम विद्वान मौलाना वहीदुद्दीन देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के भी करीबी माने जाते हैं. पीएम मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है.

मौलाना वहीदुद्दीन इस्लाम में सुधार के पक्षधर थे. वे उन लोगों में गिने जाते हैं जिन्होंने ट्रिपल तलाक के विरुद्ध में स्वर दिया. वे ट्रिपल तलाक की परंपरा के खिलाफ थे. आपको बता दें कि उन्होंने साल 2004 के लोकसभा चुनावों में अटल बिहारी वाजपेयी के लिए समर्थन जुटाने हेतु 'वाजपेयी हिमायत कमेटी' के गठन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मौलाना वहीदुद्दीन ऐसे शख्स रहे हैं जिन्होंने बाबरी मस्जिद पर मुस्लिम समाज से अपील की थी कि उन्हें अपना दावा छोड़ देना चाहिए. इस बात के लिए मुस्लिम समाज में उनकी भारी आलोचना भी हुई थी.
मौलाना वहीदुद्दीन खान दिल्ली के निजामुद्दीन में रहते थे, उनका जन्म यूपी के आजमगढ़ जिले के बधारिया गांव में 1 जनवरी, 1925 के दिन हुआ था. वे गांधीवादी मूल्यों और शांतिप्रियता के लिए जाने जाते हैं, पूरी दुनिया में उन्होंने इस्लामिक विद्वान के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई. उन्होंने ही कुरान का बेहद आसान अंग्रेजी भषा में अनुवाद किया था, वहीदुद्दीन ने कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखी है. मोदी सरकार द्वारा दिए गए पद्म विभूषण के सम्मान के अलावा उन्हें साल 2000 में वाजपेयी सरकार ने पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.
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