कला अध्यापक व शारीरिक शिक्षक भर्ती के लिए न्यूनतम विद्यार्थी की शर्त होगी समाप्त

Update: 2023-09-28 10:54 GMT
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार पूर्व भाजपा सरकार के निर्णय को पलटने जा रही है। इसके तहत अब माध्यमिक विद्यालयों में कला अध्यापकों और शारीरिक शिक्षकों की भर्ती के लिए न्यूनतम विद्यार्थी संख्या की शर्त समाप्त करने पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसके संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कला अध्यापकों और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में न्यूनतम 100 विद्यार्थी होने की लंबे समय से चली आ रही शर्त को समाप्त करने पर विचार कर रही है। इस निर्णय को पूर्व भाजपा सरकार ने 19 नवम्बर, 2018 को लिया था। इसके तहत माध्यमिक विद्यालयों में इन शिक्षकों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम 100 विद्यार्थियों की संख्या निर्धारित की थी।
सीएम के अनुसार वर्तमान में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों को कला अध्यापकों और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम 100 विद्यार्थियों का नामांकन बनाए रखना अनिवार्य है। वर्तमान प्रदेश सरकार युवाओं के हितों के संरक्षण को सर्वोच्च अधिमान देते हुए उन्हें गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके दृष्टिगत मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग को इस अनिवार्यता को समाप्त करने की प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए हैं। इस प्रस्तावित परिवर्तन का उद्देश्य राज्य में शैक्षिक अवसरों का विस्तार करना और शिक्षण कार्यबल को मजबूत करना है।
राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट की तैयारियों में जुट गई है। इस कड़ी के तहत विभिन्न सरकारी विभागों के साथ योजना विभाग बजट की तैयारी शुरू करने में जुट गया है। इसके तहत पहले चरण में विभागाध्यक्षों के साथ बैठकें होंगी तथा उसके उपरांत सचिव स्तर पर मंथन होगा। इस दौरान विभाग अगले वित्त वर्ष के लिए बजट मांगेंगे। इन बैठकों का आयोजन योजना सलाहकार डाॅ. बसु सूद के साथ होगा। चर्चा के बाद वार्षिक बजट का लेखा-जोखा तैयार होगा, जिसके आधार पर विभागों को बजट का आबंटन किया जाएगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद आम जनता तथा हितधारकों से बजट संबंधी सुझाव भी आमंत्रित किए जाएंगे, साथ ही विधायक प्राथमिकता बैठकों का आयोजन होगा, जिसमें विधायक अपनी प्राथमिकताएं देंगे। आगामी बजट में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोक निर्माण और जल शक्ति विभागों की ओर से अधिक बजट की मांग की जा सकती है।
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