दिल्ली हाईकोर्ट से केंद्र ने कहा- 'कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों की रक्षा के लिए उठा रहे हैं सभी जरूरी कदम'

महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Woman and Child Development) ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को बताया

Update: 2021-07-19 14:50 GMT

महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Woman and Child Development) ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को बताया कि कोरोनो वायरस महामारी से प्रभावित बच्चों के सर्वोत्तम हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. मंत्रालय ने कोर्ट को यह भी जानकारी दी कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को पत्र लिखकर अनाथ बच्चों के तत्काल पुनर्वास की भी मांग की गई है.

कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों को लेकर चिंता व्यक्त करने वाली जनहित याचिका पर मंत्रालय की ओर से दायर किए गए एक हलफनामे में केंद्र ने कहा कि वह वैश्विक महामारी के दौरान बाल सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की गुंजाइश और संभावनाओं पर राज्यों के साथ लगातार संवाद कर रहा है.
महिला और बाल विकास मंत्रालय, सुप्रीम कोर्ट में वकील जितेंद्र गुप्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) का जवाब दे रहा था. अपनी जनहित याचिका में वकील जितेंद्र गुप्ता ने अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की थी कि कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों की पहचान की रक्षा करते हुए, अनाथ बच्चों की अंतरिम कस्टडी उनके सबसे करीबी रिश्तेदारों या फिर चाइल्ड केयर होम को सौंप दी जाए.
प्रभावित बच्चों के लिए चाइल्डलाइन सेवा
हलफनामे में कहा गया, ''एमडब्ल्यूसीडी के सचिव द्वारा दिनांक 30.04.2021 को मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया, जिसमें सभी जिलों में डीएम को निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि वे कोविड-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित करें. बच्चों के बारे में जानकारी चाइल्डलाइन 1098 के साथ साझा की जा सकती है.''
केंद्र ने कहा है कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (जेजे अधिनियम) के तहत संकट में बच्चों की अनिवार्य रूप से देखभाल की जाती है और उन्हें संरक्षण दिया जाता है, जिसे राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन लागू करते हैं. केंद्र ने कहा कि जेजे अधिनियम के तहत सेवाएं देने के लिए राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए बाल संरक्षण सेवा नामक एक केंद्र प्रायोजित योजना पहले से ही लागू की जा रही है.
मंत्रालय ने कहा, वैश्विक महामारी से प्रभावित बच्चों के मनोसामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए, ''संवाद – मुश्किल परिस्थितियों और संकट में बच्चों को समर्थन और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी उपचार'' नामक एक राष्ट्रीय पहल और आपातकाल के लिए चौबीसों घंटे काम करने वाली चाइल्डलाइन सेवा शुरू की गई है.
बच्चों की कस्टडी करीबी रिश्तेदारों को देने की मांग
केंद्र ने कहा है कि मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर एक परामर्श प्रमुखता से प्रदर्शित किया और वह उन बच्चों की सुरक्षा के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जागरुकता पैदा कर रहा है, जिन्होंने अपने माता-पिता को कोविड के कारण खो दिया है. राज्य सरकारों से भी अनुरोध किया गया है कि वे अनाथ बच्चों के संबंध में कानूनी कदम उठाने की दिशा में लोगों का मार्गदर्शन करने के लिए स्थानीय भाषाओं में सार्वजनिक नोटिस जारी करें.
हलफनामे में कहा गया है कि राज्य सरकारों से प्रत्येक जिले में उन बच्चों की सहायता के लिए एक चाइल्ड केयर संस्थान नामित करने का अनुरोध किया गया था, जिनके माता-पिता कोविड-19 के कारण प्रभावित हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट में वकील जितेंद्र गुप्ता ने जनहित याचिका दायर करके प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वे अनाथ बच्चों के निकटतम रिश्तेदारों या चाइल्ड-केयर होम को उनका अंतरिम संरक्षण प्रदान करें.
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