भोजन पकाने को लेकर विवाद के बाद माहौल खराब, अब दलितों ने ऊंची जाति के महिला के हाथ का बना खाने से किया इनकार

जानिए पूरा मामला।

Update: 2021-12-26 05:00 GMT

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देहरादून: उत्तराखंड में चंपावत जिले के सूखीढांग इंटर कालेज में भोजन पकाने को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले एससी वर्ग की भोजन माता के हाथों बना खाना सवर्ण बच्चों ने बंद कर दिया था। अब इस विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। अब सवर्ण भोजन माता के बनाए भोजन का एससी वर्ग के छात्र-छात्राओं ने बहिष्कार शुरू कर दिया है।

उनका कहना है कि 'जब एससी वर्ग की भोजन माता के हाथों का भोजन सामान्य वर्ग के विद्यार्थी नहीं खा सकते तो वह भी सवर्ण भोजन माता के हाथों का बना भोजन नहीं खाएंगे'। प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारी को लिखे पत्र में कहा कि शुक्रवार को राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में कक्षा 6 से 8वीं तक के कुल 58 बच्चे पहुंचे। इस बीच जब विद्यालय प्रबंधन ने सभी बच्चों को एमडीएम में भोजन के लिए बुलाया तो एससी वर्ग के बच्चों ने सवर्ण भोजन माता के हाथों बने भोजन को ग्रहण करने से इनकार कर दिया।
बताया जा रहा है कि बच्चों को शिक्षकों ने समझाने की कोशिश की मगर वह अपनी बात पर अड़े रहे और खाने का बहिष्कार किया। प्रधानाचार्य के मुताबिक सभी एससी वर्ग के बच्चों ने सवर्ण भोजन माता के हाथों से बने खाने का विरोध किया है। उन्होंने घर से टिफिन लाने की बात कही है। उन्होंने बताया कि 23 बच्चों ने जो कि एससी वर्ग के हैं, उन्होंने शुक्रवार को स्कूल में एमडीएम का खाना खाने से साफ मना कर दिया है।
इधर, दो दिन पूर्व ही सीईओ आरसी पुरोहित ने जांच के दौरान नियुक्त हुई एससी वर्ग की भोजन माता सुनीता देवी को हटा दिया था और अग्रिम आदेश तक नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। इधर, अब एससी वर्ग के बच्चों के भोजन बहिष्कार के बाद विवाद फिर तूल पकड़ गया है। आपको बता दें कि इससे ठीक एक दिन पहले एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन परोसने वाली दलित समुदाय की महिला को उसकी नौकरी से हटा दिया गया क्योंकि ऊंची जाति के छात्रों ने उसके द्वारा पकाया हुआ खाना खाने से इनकार कर दिया था।
इस महीने की शुरुआत में भोजनमाता के रूप में नियुक्ति के एक दिन बाद छात्रों ने महिला की जाति के कारण उनके द्वारा बनाया गया खाना खाना बंद कर दिया और घर से अपना खाना टिफिन बॉक्स में लाना शुरू कर दिया। बताया जाता है कि स्कूल के 66 छात्रों में से 40 ने दलित समुदाय की महिला द्वारा तैयार खाना खाने से मना कर दिया था।
छात्रों के अभिभावकों ने भी भोजनमाता के रूप में दलित समुदाय की महिला की नियुक्ति पर आपत्ति जताई थी क्योंकि उच्च जाति की एक महिला ने भी नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया था। चंपावत के मुख्य शिक्षा अधिकारी आर सी पुरोहित ने कहा कि महिला की नियुक्ति रद्द कर दी गई क्योंकि यह पाया गया कि नियुक्ति में मानदंडों का पालन नहीं किया गया था।
वार्ड सदस्य दे चुके हैं इस्तीफा, बढ़ रहा विवाद
प्रधान दीपक राम ने लेटर पैड पर बयान जारी करते हुए कहा है कि बेवजह गांव में कुछ लोगों द्वारा जातिवाद और अराजकता फैलाई जा रही है। कहा कि भोजनमाता की नियुक्ति के विरोध में न खड़े होने पर पांच वार्ड सदस्यों ने नाराजगी व्यक्त की और सामूहिक इस्तीफा दे दिया। सदस्यों ने गुरुवार को टनकपुर पहुंचकर एसडीएम को सामुहिक इस्तीफा सौंपा था। आरोप लगाया कि त्याग पत्र देने वाले सभी वार्ड सदस्य गांव में अराजकता फैला रहे हैं और उन पर अविश्वास प्रस्ताव लाने का दबाव बनाया जा रहा है। कहा कि वह अपने कार्यकाल के दौरान हुए सभी विकास कार्यों का ब्योरा देने को तैयार हैं।
स्कूल में जांच को पहुंचे सीओ
सूखीढांग राजकीय इंटर कॉलेज में भोजनमाता को लेकर उपजे विवाद की जांच के लिए शुक्रवार को सीओ अशोक कुमार और चल्थी चौकी प्रभारी देवेंद्र बिष्ट मौके पर पहुंचे। इस मामले में किसी पक्ष ने पुलिस को भी शिकायती पत्र सौंपा था। इसी को लेकर सीओ ने स्कूल पहुंचकर सभी पक्षों से तमाम जानकारियां हासिल की। दो-तीन दिन के भीतर डीआईजी खुद स्कूल पहुंचकर मामले की जानकारी लेंगे।
प्रधानाचार्य का पत्र मिला है जिसमें उन्होंने कहा है कि शुक्रवार को स्कूल में एमडीएम खाने वाले 58 बच्चे उपस्थित रहे जिनमें से 23 एससी वर्ग के बच्चों ने सवर्ण भोजन माता के हाथों से बने भोजन को खाने से मना कर दिया है। अब एक बार फिर इस मामले में मौके पर जाकर जांच की जाएगी। पूर्व की बैठक में हमने सभी को गंभीरता से समझा कर मामले का पटाक्षेप कर दिया था।
आरसी पुरोहित, सीईओ, चम्पावत

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