टेरर फंडिंग मामला: हिज्बुल के दो आतंकियों को कोर्ट ने सुनाई इतने साल की सजा
नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साजिश रचने और उनके लिए धन जुटाने के अपराध में हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (Hizb-ul Mujahideen) के दो आतंकवादियों को 12-12 साल और संगठन के दो अन्य सदस्यों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई है।
विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने सोमवार को मोहम्मद शफी शाह और मुजफर अहमद डार को 12-12 साल कैद और तालिब लाली तथा मुश्ताक अहमद लोन को 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई। इन चारों आरोपियों ने उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों को 27 सितंबर को स्वीकार किया था, जिसके बाद चार अक्टूबर को उन्हें दोषी करार दिया गया था। शफी शाह और लाली जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले के रहने वाले हैं, जबकि डार बडगाम जिले का और लोन अनंतनाग जिले का रहने वाला है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मामला दर्ज किया था, जिसमें हिज्ब-उल-मुजाहिदीन पर पड़ोसी देशों से धन प्राप्त करने और भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने का आरोप था।
सभी चारों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून (यूएपीए) की धारा 17 (आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने की साजिश करने), 20 (किसी आतंकवादी संगठन या गिरोह का हिस्सा होने के लिए सजा), 40 (आतंकवादी संगठन के लिए धन एकत्र करने का जुर्म) और 38 (आतंकवादी संगठन के सदस्यों से जुड़ा दोष) के तहत दोषी करार दिया गया था।
इन सभी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 (आपराधिक षड्यंत्र) और 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध करना, युद्ध का प्रयास करना या युद्ध शुरू करने के लिए उकसाना) के तहत भी दोषी ठहराया गया था।