बिहार विधानसभा चुनाव: तेजस्वी यादव ने राघोपुर सीट पर भरा नामांकन, जहां उनका मुकाबला बीजेपी के सतीश यादव से होगा
सतीश याद राघोपुर सीट पर पहले भी विधायक रह चुके हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक सीट वैशाली जिले की राघोपुर है, जो लालू यादव परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती है. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की राजनीतिक विरासत संभाल रहे उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव अपने पुराने गढ़ राघोपुर से दोबारा चुनावी मैदान में उतर गए हैं. तेजस्वी ने बुधवार को राघोपुर सीट पर नामांकन दाखिल किया, जहां उनका मुकाबला बीजेपी के सतीश यादव से है, जो पहले विधायक रह चुके हैं.
2010 में सतीश ने राबड़ी को हराया था
सतीश यादव लगातार तीसरी बार राघोपुर सीट से किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर सतीश यादव चुनाव लड़कर राघोपुर सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को मात देने में सफल रहे थे. हालांकि, 2015 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव सतीश यादव को करारी शिकस्त देकर अपनी मां की हार का हिसाब बराबर करने में सफल रहे थे. ऐसे में इस बार भी सभी की निगाहें राघोपुर सीट पर है, जहां तेजस्वी यादव बनाम सतीश यादव के बीच चुनावी मुकाबला होता नजर आ रहा है.
1995 में लालू ने इस सीट से लड़ा चुनाव
वैशाली जिले का राघोपुर विधानसभा क्षेत्र सालों से सुर्खियों में रहा है. यह सीट 1995 में तब चर्चा में आया, जब आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने इसे अपना क्षेत्र चुना. लालू यादव ने 1995 और 2000 में यहां से जीत दर्ज की थी. उसके बाद उन्होंने ये सीट अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सौंप दी.
राबड़ी देवी यहां 2005 का चुनाव जीतीं. लेकिन 2010 में उन्हें राघोपुर में हार का मुंह देखना पड़ा था. हालांकि, लालू परिवार को यह सीट 1980 से 1995 तक लगातार 3 बार से विधायक रहे समाजवादी उदय नारायण राय उर्फ भोला राय ने दी थी. इसके बाद से लालू परिवार की परंपरागत सीट बन गई और अब तेजस्वी यादव इस सीट से विधायक हैं.
यादव बनाम यादव की जंग
बता दें कि बिहार की राघोपुर सीट यादव बहुल मानी जाती है. आरजेडी के तेजस्वी यादव और बीजेपी के सतीश कुमार दोनों यादव समुदाय से हैं. इस तरह से आरजेडी और बीजेपी दोनों की नजर यादव मतों पर है. इसके अलावा यहां करीब साठ हजार राजपूत और दलित मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है. हालांकि, 15 फीसदी मुस्लिम और अति पिछड़ा वोटर सबसे अहम भूमिका में हैं.
राजपूत और दलित वोट निर्णायक
बीजेपी प्रत्याशी सतीश कुमार खुद को यादव मतों के साथ-साथ राजपूत और दलित मतों के मिलने की उम्मीद लगाए हुए हैं. वहीं, तेजस्वी यादव अपने नामांकन में जिस तरह से राजपूत नेताओं को लेकर पहुंचे हैं, उसके भी सियासी मायने निकाले जा रहे है. एक तरह से साफ है कि तेजस्वी भी यादव के साथ-साथ अगड़ों, दलित वोटों के साथ अति पिछड़ों को भी साधकर रखना चाहते हैं. बीजेपी ने भी इस बार बिहार में राजपूत कार्ड जमकर खेला है. ऐसे में अगर राजपूत वोट अच्छी खासी संख्या में बीजेपी के पक्ष में गए तो लड़ाई रोचक हो जाएगी.